तुलसी को लेकर वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित : तुलसी पूजा विशेष


भारत के महान वैज्ञानिक जगदीशचन्द्र बसु ने क्रेस्कोग्रॉफ संयत्र की खोज कर यह सिद्ध कर दिखाया कि वृक्षों में भी हमारी तरह चैतन्य सत्ता का वास होता है। 

तुलसी को लेकर वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित : तुलसी पूजा विशेष


इस खोज से भारतीय संस्कृति की वृक्षोपासना के आगे सारा विश्व नतमस्तक हो गया।आधुनिक विज्ञान भी तुलसी पर शोध कर इसकी महिमा के आगे नतमस्तक है। तुलसी में विद्युत शक्ति अधिक होती है। इससे तुलसी के पौधे के चारों ओर की 200-200 मीटर तक की हवा स्वच्छ और शुद्ध रहती है। ग्रहण के समय खाद्य पदार्थों में तुलसी की पत्तियाँ रखने की परम्परा है।

ऋषि जानते थे कि तुलसी में विद्युत शक्ति होने से वह ग्रहण के समय फैलने वाली सौरमंडल की विनाशकारी, हानिकारक किरणों का प्रभाव खाद्य पदार्थों पर नहीं होने देती। साथ ही तुलसी के पत्ते कीटाणुनाशक और वायरस नाशक भी होते हैं। तुलसीपत्र में पीलापन लिए हुए हरे रंग का तेल होता है, 

जो उड़नशील होने से पत्तियों से बाहर निकलकर हवा में फैलता रहता है। यह तेल हवामान को कांति और ओज-तेज से भर देता है। तुलसी का स्पर्श करने वाली हवा जहाँ भी जाती है, वहाँ वह स्वास्थ्य के लिए लाभदायी है। तुलसी के पत्ते ईथर नामक रसायन से युक्त होने से जीवाणुओं का नाश करते हैं और मच्छरों को दूर भगाते हैं। तुलसी का पौधा उच्छवास में ओजोन गैस छोड़ता है, जो विशेष स्फूर्तिप्रद है। 

लखनऊ के किंग जार्ज कॉलेज में तुलसी पर अनुसंधान किया गया। उसके अनुसार पेप्टिक अल्सर, हृदयरोग, उच्च रक्तचाप, कोलाइटिस और दमे (अस्थमा) में तुलसी का उपयोग गुणकारी है। तुलसी में एंटीस्ट्रेस गुण होते हैं। प्रतिदिन तुलसी की चाय ( बिना दूध वाली ) पीने या नियमित रूप से उसकी ताजी पत्तियाँ चबाकर खाने से रोज के मानसिक तनावों की तीव्रता कम हो जाती है एवं यादशक्ति बढ़ती हैं।

फ्रेंच डॉक्टर विक्टर रेसीन ने कहा है कि "तुलसी एक अदभुत औषधि है। इस पर किये गये प्रयोगों से यह सिद्ध हुआ है कि रक्तचाप और पाचनतंत्र के नियमन में तथा मानसिक रोगों में तुलसी अत्यंत लाभकारी है। इससे रक्तकणों की वृद्धि होती है। मलेरिया, टाइफाइड, वायरल बुखार तथा अन्य प्रकार के बुखारों में तुलसी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है।"

तुलसी रोगों को तो दूर करती ही है, इसके अतिरिक्त ब्रह्मचर्य की रक्षा करने एवं याद शक्ति बढ़ाने में भी अनुपम सहायता करती है।तुलसी की जड़ और पत्ते ज्वर (बुखार) में उपयोगी हैं। वीर्यदोष में इसके बीजों का उपयोग उत्तम है। तुलसी की दूध रहित चाय पीने से ज्वर, आलस्य, सुस्ती तथा वात - कफ के विकार दूर होते हैं, भूख बढ़ती है।

तुलसी की महिमा बताते हुए भगवान शिवजी नारदजी से कहते हैं-

पत्रं पुष्पं फलं मूलं शाखा त्वक् स्कन्धसंज्ञितम्।
तुलसीसंभवं सर्वं पावनं मृत्तिकादिकम्।।
अर्थात तुलसी का पत्ता, फूल, फल, मूल, शाखा, छाल, तना और मिट्टी आदि सभी पावन हैं। (पद्म पुराण, उत्तर खंड 24.2)

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