साइबर अपराध की धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग की प्रक्रिया पर प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्यक्रम
झारखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) के निर्देशानुसार और प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश – सह - अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, साहिबगंज, अखिल कुमार के मार्गदर्शन में रविवार की देर शाम व्यवहार न्यायालय परिसर स्थित लोक अदालत कक्ष में “साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 और धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग की प्रक्रिया पर प्रशिक्षण सह जागरूकता” कार्यक्रम आयोजित किया गया।
जिसमें लीगल एड डिफेन्स काउंसिल, पैनल अधिवक्ता और पारा विधिक स्वयं सेवक (पीएलभी) उपस्थित थे। प्रशिक्षक सुमित कुमार ने बताया की जब किसी भी व्यक्ति के साथ ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी होती है तो वह हेल्पलाइन नंबर 1930 पर तुरंत शिकायत करके उन रुपयों को फ्रीज करवा सकता है और कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के उपरांत अपने रुपयों को वापस पा सकता है।
उन्होंने आगे बताया की सबसे पहले साइबर वित्तीय अपराध होने की स्थिति में शिकायतकर्ता को हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करनी होगी। यह फोन कॉल नियुक्त किए गए एक पुलिस अधिकारी द्वारा रिसीव की जाएगी और वह अधिकारी शिकायतकर्ता से लेनदेन से संबंधित कुछ जरूरी विवरण मांगेगा।
इसके बाद एक टोकन नंबर जनरेट होगा और अपराधी के बैंक खाते, पेमेंट वॉलेट या मरचेंट का पता लगाने व निकाली गई राशि को रोकने के लिए एक डिजिटल अलर्ट भेजा जाएगा। जैसे ही डिजिटल अलर्ट बजता है, सिस्टम द्वारा धोखाधड़ी वाले धन के प्रवाह को रोक या फ्रीज कर दिया जाता है और प्लेटफार्म पर वापस रिपोर्ट की जाती है।
यदि पैसा किसी अन्य वित्तीय मध्यस्थ को स्थानांतरित कर दिया गया है, तो भी उस पैसे को फ्रीज करने के लिए एक अलर्ट भेजा जाता है। यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती रहती है, जब तक कि राशि को या तो अस्थायी रोक पर रखा जाता है, वापस लिया जाता है या ऑनलाइन खर्च किया जाता है।
शिकायतकर्ता को इस शिकायत की सूचना एक एसएमएस या मेल के माध्यम से प्राप्त होती है। जिसमें लॉग इन आइडी या शिकायत का संदर्भ नंबर होता है और एक लिंक प्राप्त होता है। दिए गए लिंक या लॉग इन आइडी या शिकायत संदर्भ नंबर का प्रयोग करते हुए हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने के 24 घंटे के अंदर शिकायतकर्ता को राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर औपचारिक व विस्तृत विवरण (मोबाइल नम्बर, बैंक/वालेट/मरचेंट का नाम व नंबर, जिसमें अमाउंट गई है,
ट्रांजेक्शन आइडी व तारीख, अगर धोखाधड़ी किसी कार्ड के माध्यम से हुई हो तो उस डेबिट या क्रेडिट कार्ड नंबर और इस धोखाधड़ी के लेनदेन के संबंध में कोई स्क्रीनशाट अगर उपलब्ध हैं) सहित एक शिकायत दर्ज करानी अति आवश्यक है।
उपरोक्त शिकायत दर्ज करने के बाद खाते से निकाले गए रुपयों को वापस लाने व उस पैसे को पीड़ित के खाते में वापस करवाने के लिए पुलिस की कार्रवाई शुरू हो जाती है। हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने के 24 घंटे के भीतर शिकायतकर्ता को सम्बंधित साइबर थाना या निकटवर्ती थाना में शिकायत की जानी जरुरी है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव बिश्वनाथ भगत ने बताया की साइबर अपराध गैर कानूनी कृत्य है। उन्होंने बताया की साइबर अपराधी स्कूली बच्चों व महिलाओं के अलावा लोगों को धमकाने के साथ ही उनकी अश्लील फोटो अपलोड करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करने की घटनाओं में तेजी के साथ वृद्धि होने लगी है।
लोक लाज के भय से युवतियां और लोग साइबर फ्रॉड के चंगुल में फंसकर शोषण का शिकार हो रहे हैं। बढ़ते साइबर क्राइम को रोकने व साइबर क्राइम से पीड़ित व्यक्तियों को समय पर किस प्रकार विधिक सहायता व सलाह दी जा सकती है,
इसे लेकर लीगल एड डिफेन्स काउंसिल, पैनल अधिवक्ता और पारा विधिक स्वयं सेवक (पिएलभी) को विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया गया। जिससे ये सभी गाँव – गाँव लोगों के बीच जाकर जागरूक कर सकेंगे। कार्यक्रम में चीफ लीगल एड डिफेन्स काउंसिल अरविन्द गोयल व उनकी टीम, पैनल अधिवक्ता और पारा विधिक स्वयं सेवक (पीएलभी) व अन्य उपस्थित थे।
By: Sanjay Kumar Dhiraj
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