रिटायरमेंट के बाद नियुक्ति पर किसी तरह की आपत्ति नहीं जताई जा सकती
रिटायरमेंट के बाद नियुक्ति पर किसी तरह की आपत्ति नहीं जताई जा सकती : झारखंड हाई कोर्ट
झारखंड हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी भी कर्मचारी की नियुक्ति के संबंध में किसी प्रकार की आपत्ति सेवानिवृत्ति के बाद नहीं उठाई जा सकती। हालांकि, अगर आपत्ति सेवा में रहते हुए की गई हो और जारी न्यायिक प्रक्रिया के दौरान वह सेवानिवृत्त हो जाता है तो उसके मामले में सुनवाई की जा सकेगी।
इसके साथ ही जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने प्रार्थी को संशोधित वेतनमान का लाभ और अन्य बकाया भुगतान का निर्देश देते हुए याचिका निष्पादित कर दी। इस संबंध में फूलचंद ठाकुर ने याचिका दायर की थी।
याचिका में कहा गया है कि उसकी नियुक्ति एक अगस्त 1975 में एसपी कालेज, दुमका में शाषी निकाय ने टाइपिस्ट के पद पर की थी। 31 वर्ष तक कालेज में काम करने के बाद वह 31 दिसंबर 2006 को सेवानिवृत्त हो गए।
सेवा के दौरान उन्हें कालेज के एक प्रस्ताव के माध्यम से लाइब्रेरी सहायक के पद पर समायोजित किया गया था, क्योंकि टाइपिस्ट के लिए कोई पद स्वीकृत नहीं था। उनका वेतन एक अप्रैल 1981 से प्रभावी चौथे वेतन संशोधन के अनुसार तय किया गया था और सेवानिवृत्ति तक उसी वेतनमान के आधार पर वेतन मिलता रहा।
प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि झारखंड सरकार ने पांचवें और छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार घटक कालेजों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए वेतनमान संशोधित किए हैं, जो क्रमशः एक जनवरी 1996 और एक जनवरी 2006 से प्रभावी हैं। इन अवधियों के लिए कर्मचारियों के वेतन संशोधन की कालेज द्वारा अनुशंसा की गई और अनुमोदन के लिए उच्च शिक्षा विभाग को भेजा गया।
By: Sanjay Kumar Dhiraj
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