गर्मी के दस्तक के साथ ही सूखने लगे सभी जल स्रोत, लोगों को अब सताने लगा जल संकट का डर
पशु–पक्षियों के लिए जलसंकट बड़ी समस्या
साहिबगंज : मई माह का एक पक्ष बीतने को है। गर्मी ने अपना विकराल रूप दिखाना शुरू कर दिया है। गर्मी की तपिश जैसे–जैसे बढ़ रही है। वैसे–वैसे इसका सीधा असर यहां पानी के जलस्तर पर दिखाई दे रहा है। ऐसे तो कई तालाब अभी से ही सूखने लगे हैं, लेकिन बचे–खुचे तालाब व नदी–नालों के सूखने से पानी की समस्या और विकराल होती जाएगी।
बीते बरसात के मौसम की बात की जाए तो क्षेत्र में काफी अच्छी बारिश हुई थी, लिहाजा क्षेत्र के कुओं और तालाबों का जलस्तर भी बढ़ गया था, लेकिन गर्मी का मौसम आते ही यहां के कुओं, तालाबों, चापाकलों और बोरिंग का जलस्तर लगातार नीचे जाने लगा है।
वर्तमान समय में बहुत बुरे हालात तो अभी उत्पन्न नहीं हुए हैं, लेकिन बढ़ती गर्मी के साथ पानी के बड़े संकट से इन्कार भी नहीं किया जा सकता है। घटते जलस्तर का सीधा प्रभाव मानव जीवन पर पड़ेगा। स्थिति अगर यही रही तो जून–जुलाई के महीने में हालात और भी खराब हो सकते हैं।
जलसंकट पशु–पक्षियों के लिए होगी बड़ी समस्या
इंसान तो किसी न किसी रूप में खुद के लिए पानी की व्यवस्था कर लेता है, परंतु पशु–पक्षियों के लिए जलसंकट एक बड़ी समस्या बन जाती है। नदी–नाले और तालाब पशु–पक्षियों के लिए एकमात्र पानी के स्त्रोत होते हैं, जो अभी से ही सूखने लगे हैं। ऐसे में मनुष्य से ज्यादा पशु–पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करना किसी चुनौती से कम नहीं होगी।
जलस्तर सुधार के लिए किए गए लाखों–करोड़ों खर्च बेअसर
पानी का जलस्तर बना रहे, इसके लिए कई योजनाओं पर लाखों–करोड़ों रुपए खर्च किए गए, लेकिन भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी ने हर योजना को फिसड्डी साबित कर दिया। ज्यादातर सरकारी डोभा, तालाबों और कुओं में पानी ही नहीं है।
पदाधिकारी इसी बात से अपना पल्ला झाड़ ले रहे हैं कि जब वर्षा ही नहीं हो रही है तो डोभा, कुआं और तालाबों में पानी कहां से आएगा? ऐसे में सवाल उठता है की जब बरसात के मौसम में यहां अच्छी बारिश हुई थी, तो अब पानी के सारे के सारे स्रोत अचानक क्यूं सूखने लगे हैं? फिलहाल तो इस प्रश्न का जवाब देने में विभाग और प्रशासन दोनों ही मौन हैं।
0 Response to "गर्मी के दस्तक के साथ ही सूखने लगे सभी जल स्रोत, लोगों को अब सताने लगा जल संकट का डर"
Post a Comment