गर्मी और लू की मार से दूध में आया उबाल, दो रुपए तक हुई वृद्धि, रसोई का बिगड़ा बजट
साहिबगंज : सदर प्रखंड के महादेवगंज स्थित मेधा डेयरी का दूध अब महंगा हो गया है। कंपनी ने अपने दूध के दामों में 2 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी की है। नई दरें बीते सोमवार से लागू भी हो गई हैं। कंपनी का कहना है कि दूध खरीदने की लागत बढ़ने की वजह से यह कदम उठाना पड़ा है।
गर्मी की शुरुआत और लू के कारण दूध के उत्पादन पर असर पड़ा है। इससे किसानों से दूध खरीदने के दाम बढ़ गए हैं। डेयरी का कहना है कि उसने किसानों और ग्राहकों दोनों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है।
मेधा डेयरी के इंचार्ज राजीव रंजन ने बताया कि मेधा डेयरी को अपने दूध के दामों में 2 रुपए प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी करनी पड़ रही है। यह बदलाव दूध खरीदने की लागत में भारी बढ़ोतरी के कारण करना पड़ रहा है, जो पिछले कुछ महीनों में 4-5 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ गई थी। दूध खरीदने के दामों में यह उछाल मुख्य रूप से गर्मी की शुरुआत और लू की वजह से आया है।
किस दूध की कितनी बढ़ी कीमतें?
1000 मिलीलीटर डबल टोन्ड स्लिम मिल्क 44 रुपए के बजाय 46 रुपए में, जबकि 500 मी.ली. डबल टोंड स्लिम मिल्क अब 23 रुपए में मिलेगी। 1000 मि.ली. टोंड मिल्क की कीमत 51 रुपए से बढ़कर 53 रुपए और 500 मि.ली. की कीमत अब 27 रुपए हो गई है।
वहीं, स्टैंडर्ड मिल्क शक्ति की कीमत 57 रुपए से बढ़कर 59 रुपए, जबकि 500 मि.ली. अब 30 रुपए का हो गया है। 1000 मि.ली. शक्ति स्पेशल मिल्क की कीमत अब 60 रुपए हो गई है, जबकि 500 मि.ली. की कीमत 31 रुपए हो गई है।
काऊ मिल्क (गाय का दूध) 1000 मि.ली. अब 55 रुपए में मिलेगा, जबकि 500 मि.ली. काऊ मिल्क की कीमत अब 28 रुपए कर दिया गया है। इतना ही नहीं, मेधा डेयरी ने खोया और छेना मिल्क के दाम में भी वृद्धि की है। 6 लीटर के खोया मिल्क की कीमत अब 336 रुपए की जगह 348 रुपए और छेना मिल्क 300 रुपए की जगह 312 रुपए में मिलेगा।
दूध के मूल्य में हुई वृद्धि से उपभोक्ताओं को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसका सीधा असर रसोई के बजट पर पड़ना तय है। पहले से ही महंगाई की मार झेल रही जनता पर अब अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
इस बाबत इंचार्ज राजीव रंजन ने बताया की हम अपने किसानों की आजीविका का समर्थन करते हुए उपभोक्ताओं को लगातार अच्छी गुणवत्ता वाला दूध उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह बदलाव बढ़ी हुई लागत का सिर्फ एक आंशिक हिस्सा है। इसका उद्देश्य किसानों और उपभोक्ताओं के हितों को समान रूप से पूरा करना है।
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