प्रोफेसर सुबोध झा की कलम से 'लालकिला दिल्ली ब्लास्ट' "वो लालकिला लाल रंग से लाल हो गया"


प्रोफेसर सुबोध झा की कलम से 'लालकिला दिल्ली ब्लास्ट' "वो लालकिला लाल रंग से लाल हो गया"

वो लालकिला लाल रंग से लाल हो गया;


डाक्टर इंसानियत के लिए काल हो गया।


कल तक लालकिला था खुशहाल मगर;


दुश्मनों के कुकृत्य से बुरा हाल हो गया।


तुम्हें लिखना था भारत का मुस्तकबिल;


पर तुम तो दुश्मन बन गए डॉ मुजम्मिल।


गरीबी में पले बढ़े भटके शहर दर शहर;


जब मंजिल मिली क्या बन गए डॉ. उमर?


इंसान बनकर इंसानों पर मचाई तबाही;


देख रहा है लालकिला, दे रहा है गवाही;


पढ़ाया लिखाया डाक्टर बनाया अब्बू ने;


पर उन्हें संकट में डाल दिया तेरी गुनाही।


पता करो किस किस से जुड़े हुए हैं तार?


पता करो कौन कौन से इसके हैं किरदार?


ढ़ूढ़ निकालो इन्सानियत के दुश्मन को;


सज़ा दो, जो जो भी इसके हैं गुनाहगार।


रिपोर्ट: प्रो सुबोध झा 'आशु' | साहिबगंज न्यूज डेस्क

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