पर्यटन के साथ - साथ जियो व इको टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलना चाहिए : डॉ. रणजीत सिंह
Sahibganj News : साहिबगंज के राजमहल पहाड़ियों पर शोध कार्य हेतु भारत सरकार के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रो. सहेंद्र सिंह एवं शोधकर्ता डॉ. सरोदीप चटर्जी ने राजमहल हिल्स साहिबगंज एवं पाकुड में फैले विभिन्न पहाड़ी क्षेत्रों का भ्रमण रविवार को किया।
उन्होंने शोध कार्य हेतु विभिन्न स्थानों से चट्टानों का सैंपल लिया, जिसे बेसाल्ट चट्टान कहते हैं। बता दें कि यह चट्टान आग्नेय चट्टान के रूप में राजमहल की सभी पहाड़ियों में पूरी तरह से आच्छादित है। प्रो. सहेंद्र ने बताया कि शोध का विषय "रॉक मैग्नेटिज्म एवं पोलियो मैग्नेटिज्म" है, इसी पर शोध कार्य एवं स्टडी किया जाएगा।
इसका मुख्य उद्देश्य ज्वालामुखी के फटने से राजमहल हिल्स बनने की प्रक्रिया तथा डेक्कन ट्रैप (जो 65 मिलियन वर्ष पूर्व, व राजमहल हिल्स 105 मिलियन वर्ष पूर्व बना है) का अध्ययन करना है। डॉ. सरोदीप चटर्जी ने बताया कि ज्वालामुखी के उत्त्पत्ति व समय को लेकर यह शोध कार्य देश व दुनिया में नया आयाम स्थापित करेगा।
यह शोध बहुत ही महत्वपूर्ण होगा। जहां दुनिया के लिए भी एक अत्याधुनिक जानकारी मिल सकती है। वहीं शिक्षण व शैक्षणिक क्षेत्र में शोध निष्कर्ष में छात्र शोधकर्ताओं और भू वैज्ञानिकों के लिए भी एक बड़ा मार्गदर्शन होगा।
भू - वैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद् डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने बताया कि आज दुनिया पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति की सुरक्षा के लिए प्रयास व संघर्ष कर रही है। विकास अगर प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण आधारित हो तो उसमें स्थायित्व होना चाहिए। पर्यटन के साथ ही इको एवं जियो टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलना चाहिए ।
बता दें कि तीनों ही वैज्ञानिकों ने आज मंडरो फॉसिल्स पार्क, तारा पहाड़, बसकोबेड़ो आदि क्षेत्र का भ्रमण किया। साथ ही दुनिया की धरोहर, फॉसिल्स को यूं बर्बाद होता देख बहुत दुखी हुए। फसिल्स एवं पहाड़ी भ्रमण करने करने वालों में भूवैज्ञानिक व शोधकर्ताओं प्रो. सहेंद्र सिंह
(डिपार्टमेंट ऑफ़ अप्लाइड जियोलॉजी इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी आई एस एम धनबाद) डॉ. सौरदीप चटर्जी (पोस्ट डाक्टर फेलो इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी आई एम धनबाद) तथा डॉ. रणजीत कुमार सिंह (भूवैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद् साहिबगंज महाविद्यालय) साथ में थे।
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