DC ने छोड़े गंगा नदी में 02 लाख भारतीय मेजर कार्प (पोहान या मछली के छोटे - छोटे बच्चे) कतला, रोहू , मृगल, कालबासु यह कार्प मत्स्य इयरलिंग नदी में जैव पारिस्थितिकी को बनाए रखेंगे और गंगा को स्वच्छ बनाए रखने में मदद करेंगे।
साहिबगंज :--जिला प्रशासन, मत्स्य विभाग एवं गंगेटिक फिशरी सोसाइटी के सहयोग से नमामि गंगे योजनान्तर्गत भारत सरकार के "नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा" के अंतर्गत साहिबगंज के मुक्तेश्वर घाट स्थित गंगा नदी में 02 लाख भारतीय मेजर कार्प (कतला, रोहू , मृगल, कालबासु ) का इयरलिंग का रिवर रेंचिंग किया गया।
उपायुक्त ने बीच धार में कार्प मत्स्य इयरलिंग को छोड़ा
यह रिवर रेचिंग कार्य केंद्रीय अंतरस्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर के निदेशक वैज्ञानिक बी. के. दास एवं उनके साथ 06 सदस्यीय दल द्वारा किया गया। इस रेचरिंग में मुख्य अतिथि के रूप में उपायुक्त रामनिवास यादव ने शिरकत की, जहां उन्होंने गंगा में मत्स्य संसाधन में बढ़ोतरी एवं स्थानीय मछुआरों की आजीविका बढ़ाने साथ ही गंगा को साफ एवं निर्मल रखने में मदद के उद्देश्य से मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान के निदेशक बीके दास के साथ मिलकर गंगा के बीच धार में कार्प मत्स्य इयरलिंग को छोड़ा। इस अवसर पर उपायुक्त ने गंगा नदी में कार्प मछली के स्पॉन संग्रहण की प्रकिया को भी देखा।
डॉल्फिन के स्वास्थ्य और संरक्षण के पारिस्थितिक विषयों के बारे में किया गया जागरूक
नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में कई जन जागरूकता से मत्स्य रैंचिंग, डॉल्फिन एवं जल संरक्षण पर जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। इस दौरान उपायुक्त ने मछली के संरक्षण में सरकार के साथ - साथ समाज की भागीदारी पर भी जोर दिया। डॉक्टर बसंत कुमार दास ने स्थानीय मछुआरों को गंगा नदी में प्राप्त मछली और डॉल्फिन के स्वास्थ्य और संरक्षण के पारिस्थितिक विषयों के बारे में जागरूक किया।
नदी में छोड़े गए फिंगरलिंक से जैव विविधता बनी रहेगी और मछुआरों को मिलेगा सहयोग
वहीं यह भी बताया गया कि चार अलग-अलग राज्यों को कवर करते हुए गंगा नदी के अलग-अलग क्षेत्रों में 5600000 से अधिक कार्प जिसमें रेहू, कतला और मृदुल फिंगरलिंक को गंगा नदी में छोड़ा गया है। आने वाले दिनों में इन मछलियों से जैव विविधता को बनाए रखने एवं मछुआरों के बेहतर जीविकोपार्जन को उचित दिशा भी मिलेगा।
इन मछलियों से नदी भी होगा स्वच्छ
आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन प्रायोजित परियोजना के प्रमुख उद्देश्यों में मछली की विविधता का अन्वेषण, सर्वेक्षण, बहुमूल्य मछलियों, जैसे रेहु, कतला, कालबासु और महाशीर के स्टॉक मूल्यांकन के साथ-साथ चयनित मछलियों पतियों के बीज का उत्पादन और उसके स्टॉक में वृद्धि शामिल है। कालबासु, कतला, मिर्गला और रेहू जैसी मछलियां न केवल नदी के स्टॉक में विधि करेंगे बल्कि नदी की स्वच्छता को बनाए रखने में मदद करेंगे।
उपायुक्त का संदेश
कार्यक्रम के माध्यम से उपायुक्त रामनिवास यादव ने जिलेवासियों से अपील की है कि वह नदी की स्वच्छता एवं जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी को बनाए रखने के लिए अपना सहयोग भी दे सकते हैं।
आम नागरिक नदी की स्वच्छता को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इसमें किसी भी प्रकार के केमिकल वस्तुओं को, सिंगल यूज़ के प्लास्टिक से बनी वस्तु एवं शैंपू, सर्फ, बिस्किट, साबुन इत्यादि की पुड़िया को गंगा में ना प्रवाहित करें। इससे न केवल गंगा प्रदूषित होती है, बल्कि नदी में रहने वाले जीवों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।
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