"सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे संतु निरामया" का वैचारिक दर्शन और क्रियात्मक फलीभूत तो केवल हवन और दीप प्रज्वलन से ही हो सकता है : इसीलिए इलेक्ट्रिक लड़ी या इलेक्ट्रिक दीपक का प्रयोग न करें


ठंड के मौसम में वातावरण में आद्र तापमान के कारण हानिकारक बैक्टीरिया और फफूंद जमकर वृद्धि करते हैं। फंगस शब्द कोरोना महामारी के दौरान काफी कुख्यात रहा है। 'ब्लैक फंगस'  हवा में जिसके बीजाणु तैरते रहते हैं, उसने कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले हजारों व्यक्तियों की आंख को निशाना बनाया था। फफूंदी की भी सैकड़ों प्रजातियां हैं, कुछ लाभकारी हैं तो कुछ हानिकारक।

"सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे संतु निरामया" का वैचारिक दर्शन और क्रियात्मक फलीभूत तो केवल हवन और दीप प्रज्वलन से ही हो सकता है : इसीलिए इलेक्ट्रिक लड़ी या इलेक्ट्रिक दीपक का प्रयोग न करें

सत्य सनातन वैदिक संस्कृति का प्रत्येक पर्व अपने आप में गहन वैज्ञानिकता और गंभीर उद्देश्य सार्थकता को समाहित किए हुए है। वर्षा ऋतु के पश्चात कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है। शरद ऋतु में हानिकारक कीटों, जीवाणुओं, फंगस का आतंक अपने चरम पर रहता है। घर की दीवारें, वस्त्र, फर्नीचर, सब कुछ उनसे संक्रमित रहता है। सरसों का दीपक जलाकर आप अपने घर के आस-पास की फंगस, हानिकारक बैक्टीरिया को सामूहिक तौर पर खत्म कर सकते हैं। 

सरसों के तेल में विशेष फफूंदी बैक्टीरिया नाशक' एलाइल आइसोथायोसाइनेट' नामक रसायन होता है। इसी रसायन के कारण सरसों वर्ग की जितनी भी सब्जियां होती है, चाहे सरसों हो, मूली हो, ब्रोकली हो या चुकंदर हो, उनमें विशेष तीखापन दाहयुक्त प्रभाव आता है।

नेचर पत्रिका में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर  एशेरिकिया कोलाए  बैक्टीरिया को लेकर बहुत ही महत्वपूर्ण एक शोध प्रकाशित हुआ था। यह बैक्टीरिया मानव आंत को संक्रमित कर व्यक्ति को मृत्यु शैया तक पहुंचा देता है। भोजन विषाक्तता के लिए भी यही जिम्मेदार है। विज्ञान जनरल नेचर शोध में यह सिद्ध हुआ की सरसों के तेल में पाए जाने वाले प्राकृतिक रसायन एलाइल आइथोसाइनेट पलक झपकते ही इस बैक्टीरिया को खत्म करता है। 

सरसों के तेल की मालिश इसी कारण की जाती है। यह रसायन मुख की दुर्गंध के लिए जिम्मेदार दांतों और मसूड़ों की क्षति के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को भी नष्ट करता है। यही कारण है मंजन में हमारे बुजुर्ग सरसों का तेल मिलाते थे। सरसों के तेल में पाए जाने वाला यह रंगहीन तेल रसायन एलाइल आइथोसाइनेट एटीजी 5 प्रोटीन को कार्य करने के लिए उत्प्रेरित करता है। 

इसी प्रोटीन के कारण कान की गंदगी बैक्टीरिया वायरस कुदरती तौर पर नष्ट होते रहते हैं। कान में जब सरसों का तेल डालते हैं तो यह प्रोटीन अधिक सक्रिय हो जाती है, जिससे बहरापन (हियरिंग लॉस) की प्रक्रिया रुक जाती है।
सरसों की तेल के दीपक को जब जलाया जाता है तो हवा में एलाइल आइसोथायोसाइनेट रसायन की धूम्र बनती है जो वातावरण में मौजूद ऐसे असंख्य बैक्टीरिया फफूंद को नष्ट करती है।

दीपावली की पूर्व संध्या पर या दीपावली के दिन आप हवन या दीप प्रज्वलन की स्वस्थ वैज्ञानिक परंपरा का लाभ उठा सकते हैं। संभव हो सके तो  वातावरण को आलोकित और सुरभित कर सकते हैं।  
हानिकारक कीटों से मुक्त करने के लिए आप हवन सामग्री मे देशी पीली या काली सरसों मिलाकर हवन कर सकते हैं। देशी सरसों के तेल के दीपक तो अवश्य प्रज्वलित करें। 

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