दिवाली या शुभ कार्य के मौके पर ही क्यों बनाई जाती है रंगोली और क्या है इसका धार्मिक महत्व
देश में इन दिनों दिवाली की धूम मची हुई है, जिसकी वजह से बाजारों में सजावट के सामान से लेकर लाइट्स, दिए और रंगोली का सामान तेजी से बिक रहा है। ऐसे में दिवाली के मौके पर हर घर में रंगोली बनाई जाती है, जो घर की खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम करती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिवाली पर रंगोली बनाने से सिर्फ घर ही सुंदर नहीं दिखता है, बल्कि इसका अपना धार्मिक महत्त्व भी है। शायद बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि दिवाली पर रंगोली बनाने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है, जिससे घर में साल भर धन की वर्षा होती रहती है।
त्योहारों पर रंगोली का महत्व
भारत में किसी भी शुभ अवसर पर घर के अंदर, बाहर और मंदिर परिसर में रंगोली बनाने की प्रथा है, जिसे कई युगों से एक परंपरा की तरह निभाया जाता है। हालांकि आज के आधुनिक दौर में पूजा या फिर दिवाली के मौके पर ही रंगोली बनाई जाती है, यही वजह है कि रंगोली बनाने के लिए रंगों के अलावा आटा, हल्दी, फूल और पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी मदद से स्वास्तिक, कमल का फूल, माँ लक्ष्मी के पैरों के निशान और मोर की कलाकृति तैयार की जाती है। यह कुछ ऐसी रंगोलियाँ होती हैं, जो घर के अंदर या आंगन में बनाई जाती हैं और माँ लक्ष्मी को रंगोली बेहद प्रिय होती है।
क्यों बनाई जाती है रंगोली
रंगोली का शाब्दिक अर्थ है रंगों के जरिए अपने भाव को दर्शाना, जिसकी वजह से हर कोई अलग-अलग थीम पर अपनी पसंद की रंगोली बनाता है। भारत में कई जगहों पर रंगोली को अल्पना के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ लीपना या लेप करना होता है।
दिवाली के मौके पर घर के मैन गेट या आंगन में रंगोली बनाने का रिवाज है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस रात माँ लक्ष्मी भक्तों की पूजा से प्रसन्न होकर उनके घर में प्रवेश करती है। ऐसे में दिवाली के मौके पर रंगोली बनाना अनिवार्य हो जाता है।
ऐसे में अगर आप भी इस दिवाली माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो धनतेरस से लेकर दिवाली तक रोजाना नहाने के बाद घर के मुख्य द्वार पर माता के पैरों की रंगोली बनाएं। यह रंगोली छोटे या बड़े किसी भी आकार की हो सकती है, जिससे घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
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