वो महान भारतीय बॉलीबॉल खिलाड़ी, जिनके सम्मान में इटली में भी बना स्टेडियम, भारत के बॉलीबॉल खेल को दुनिया में सफलता के नए आयाम तक पहुंचाया


स्पोर्ट्स 

केरल में मालाबार क्षेत्र के पेरावूर में जन्मे जिम्मी जॉर्ज, वॉलीबॉल के ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्होंने वॉलीबॉल की दुनिया में भारत को सफ़लता के नए आयाम तक पहुँचाया।

वो महान भारतीय बॉलीबॉल खिलाड़ी, जिनके सम्मान में इटली में भी बना स्टेडियम, भारत के बॉलीबॉल खेल को दुनिया में सफलता के नए आयाम तक पहुंचाया

खिलाड़ियों के परिवार से संबंध रखने वाले जिम्मी के सात भाई थे। उनके पिता यूनिवर्सिटी लेवल के वॉलीबॉल खिलाड़ी थे। उन्होंने ही  जिम्मी के साथ अपने सभी बेटों को वॉलीबॉल खेलना सिखाया था।

साल 1971 में मात्र 16 साल की उम्र में उन्होंने केरल राज्य टीम में अपनी जगह बना ली थी। इसके बाद, अलग-अलग टूर्नामेंट्स में उन्होंने 9 बार केरल का प्रतिनिधित्व किया।

उन्हें आज भी उनके कूदने और हवा में उछलने के तरीकों के लिए याद किया जाता है। वॉलीबॉल खिलाड़ी होने के आलावा जिम्मी एक अच्छे तैराक भी थे। उन्होंने अपनी पढ़ाई के दिनों में तैराकी प्रतियोगिताओं में भी 4 गोल्ड मेडल जीते थे। जिम्मी एक मेडिकल छात्र थे, पर 1976 में उन्होंने पढ़ाई छोड़कर केरल पुलिस ज्वाइन कर ली। लेकिन खेल के लिए उनका प्यार इतना था कि वो ज्यादा दिन दूर नहीं रह सके। साल 1979 से, एक रूसी कोच के सुझाव पर, उन्होंने वॉलीबॉल को प्रोफेशनल तौर पर खेलना शुरू किया।

उनका अंतर्राष्ट्रीय क्लब करियर अबू धाबी स्पोर्ट्स क्लब के साथ शुरू हुआ। बाद में, उन्होंने इटली के क्लब के साथ भी कॉन्ट्रैक्ट किया। इटली में अपने छह टूर्नामेंट्स में ही, उन्होंने एक ख़ास पहचान बना ली थी।

साल 1974 के तेहरान एशियाई खेलों के बाद जिम्मी, बैंकोक (1978) और सियोल (1986) में हुए एशियाई खेलों में भी भारत की राष्ट्रीय वॉलीबॉल टीम के लिए खेले। सियोल एशियाई खेलों में भारत ने कांस्य पदक जीता। साल 1985 में सऊदी अरब में खेलने गई भारतीय टीम के वे कप्तान थे, और 1986 में हैदराबाद में हुए इंडिया गोल्ड कप इंटरनेशनल वॉलीबॉल टूर्नामेंट में भारतीय टीम को उन्होंने ही जीत दिलाई थी।

उनके खेल ने उन्हें केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में एक अलग पहचान दी। इटली में उनकी याद में एक इंडोर स्टेडियम बनवाया गया। केरल में भी जिम्मी के नाम पर एक स्टेडियम बनाया गया और कन्नूर के पुलिस मुख्यालय में कॉन्फ्रेंस हॉल को भी उनका नाम दिया गया। जॉर्ज परिवार ने उनकी याद में ‘जिम्मी जॉर्ज फाउंडेशन’ की स्थापना की और अब यह फाउंडेशन केरल के बेहतरीन खिलाड़ियों को ‘जिम्मी जॉर्ज अवॉर्ड’ से सम्मानित करती है।

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