विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर साहिबगंज कॉलेज में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी


Sahibganj news: जनजाति समाज को शिक्षा के महत्व को समझना होगा - बी.एस. जामोद

विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर साहिबगंज कॉलेज के द्वारा जनजाति विकास पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आज शुरू हुआ , जनजाति समाज प्रकृति प्रेमी, सहज-सरल, समाज एवं देशहित के लिए समर्पित है। जनजाति समाज अपने आने वाली पीढ़ी को शिक्षित करें। 

विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर साहिबगंज कॉलेज में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

कम्पयूटर ज्ञान हो तभी समाज विकास की मुख्य धारा में आ सकता हैं। उक्त विचार साहिबगंज काॅलेज, सोशल साइंस एण्ड मैनेजमेंट वेलफेयर एसोसिएशन, युवा आर्थिक परिषद एवं वनवासी कल्याण आश्रम के द्वारा आयोजित आॅनलाईन दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी जिसका विषय बहुविषयक अनुसंधान में जनजाति विकास पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप में श्री बी.एस. जामोद-आई.ए.एस. एवं सचिव राजभवन, मध्यप्रदेश ने व्यक्त करते हुए कहा कि जनजाति जीवन शैली आज लोग अपना रहे हैं। 

क्योंकि वह सुख, शांति, प्रकृति का प्रेम हैं। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. सोना झरिया मिंज-पूर्व कुलपति एस.के.एम. विश्वविद्यालय, दुमका, झारखण्ड ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है, हमारे देश के आदिवासी युवा, युवतियां अपनी संस्कृति को अपनाते हुए आगे बढ़ रहे हैं। 

आदिवासी ज्ञान फैलाने और जलवायु परिवर्तन योद्धा बनने में आदिवासी युवाओं के महत्व के बारे में भी बताया। उक्त अवसर पर सोशल साइंस एण्ड मैनेजमेंट वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव एवं युवा आर्थिक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. देवेन्द्र विश्वकर्मा ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि जनजाति समाज से भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों में उच्च पदों पर कार्य कर रहे है।

भारत में शिक्षा के माध्यम से आज आईएएस, आईपीएस एवं विश्वविद्यालयों में भी उच्च पदों पर अपनी सेवा दे रहे है परंतु पिछड़े वनवासी क्षेत्रों में आज भी संसाधनों का दोहन हो रहा है लेकिन फिर भी वनवासी समाज के कारण आज वन क्षेत्र, पर्यावरण, जैविक खैती सुरक्षित है लेकिन आज इनके शिक्षा, स्वास्थय एवं रोजगार के लिए कार्य करने के आवश्यकता है। संविधान निर्माता डाॅ. भीमराव अंबेडकर ने जनजाति समाज के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

आज माननीय राष्ट्रपति एक आदिवासी महिला है उनसे हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। संगोष्ठी के अध्यक्ष एवं महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राहुल कुमार संतोष ने उक्त अवसर पर सफल आयोजन की सभी को बधाई दी और कहा कि यह आयोजन साहिबगंज कॉलेज के लिए एक बड़ी सफलता है। 

संगोष्ठी में डाॅ. प्रिस दान-नाईजेरिया, मासवेनेंग इरिक-साउथ आर्फीका, फेरिल इरहाम-इंडोनेशिया ने भी अपना विषय रखा। संगोष्ठी का संचालन कार्यक्रम के सचिव सैमी विक्टर मरांडी एवं ब्रजेश उइके के द्वारा किया गया।  


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