महान शायर मुनव्वर राणा
महान साहित्यकार को तो मैं जीते जी नहीं सुना सका। ख्वाहिश धरी की धरी रह गई। मैं चाहता हूं कि मेरे साहित्यकार मित्र, यदि कुछ समय हो तो मेरे कुछ उद्गार अवश्य सुनें।
उर्दू साहित्य के महान जानकर,अल्फाज जानदार,व्यक्तित्व शानदार आज हमारे बीच नहीं रहे। उनके ही अल्फाजों को सुन सुनकर हम साहित्यकार धनी हुए।
लेकिन मेरी उनसे शिकायत रह गई। मैंने सोचा था कि जब भी कभी उनसे मुलाकात होगी मैं उनसे अवश्य पुछूंगा कि हम साहित्यकार समाज के दर्पण हैं सही है न? हम अपनी लेखनी से समाज या व्यक्ति विशेष को आइना दिखाएं।
इसका मतलब यह नहीं कि हम दुसरे के बहकावे में आकर अपने सम्मान को ही वापस कर दें। आपको सम्मान किसी व्यक्ति विशेष ने नहीं दिया बल्कि आपकी जादूई सम्मोहन वाली वाणी व सृजनशील लेखनी के कारण मां भारत ने दिया था।
भारत किसी व्यक्ति विशेष की जागीरदारी नहीं है न ?भारत तो आपका भी है न? तो फिर आपसे इतनी बड़ी भूल कैसे संभव हुई? बस इसी प्रश्न को लेकर आपसे मुलाकात की ख्वाहिश अब आपके जाने के साथ ही दफ़न हो गई।
आपके अल्फाज निश्चित रूप से *मुनव्वर (वैभवशाली)* थे।आप उर्दू के *राणा (राजा)* थे। आपकी जितनी तारीफ की जाए कम है बस एक ही बदनुमा दाग क्यों लग गया आपके जीवन में अब भी मन बेचैन है।आप अल्लाह की नियामत हैं।आपका नमन वंदन करते हुए आपको मैं सहृदय श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
*समर्पित है गजल(बहर मुक्त)*
काफिया-आने,
रदीफ- को।
मतला
मुनव्वर थे उर्दू के राणा थे,हुए अल्लाह घर जाने को;
अल्लाह की नियामत पर आया आंसू बहाने को।
मतला-ए-सानी
मेरा तो मन करता था बस उन्हें कुछ सुनाने को,
पर दिल कहे जो जाए मत रोक उसे बस जाने को।
शेर
साहित्य अकादमी से पुरस्कृत हुए भारत के शब्दवीर;
शब्द थे या तीर बस आया वही सुनाने को।
बड़े शायर थे मां शारदे की इनायत थी उन्हें;
बस फ़िक्र यही वे क्यों गए राजनीति अपनाने को?
भारत की शान थे वे अल्फाजों के जादूगर;
क्यों फंसे जाहिलों के चक्कर में आया वही बताने को।
आपके ही अल्फाजों से हम साहित्यकार धनी हुए;
आपकी शायरी सुन सुनकर हम आए धूम मचाने को।
*मक्ते का शेर तखल्लूस सुबोध*
अवार्ड वापसी कर आपने दुखाया था दिल *सुबोध* का,
फिर भी अल्लाह की नियामत पर आया आंसू बहाने को।
*सहृदय श्रद्धांजलि*
Professor: सुबोध झा
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