गणेश चतुर्थी की तैयारी जोरों पर, कारीगरों की कला दे रही प्रतिमा को अलौकिक रूप


गणेश चतुर्थी की तैयारी जोरों पर, कारीगरों की कला दे रही प्रतिमा को अलौकिक रूप

साहिबगंज : गणेश चतुर्थी को लेकर जिले भर में धूम है। हर कोई विघ्नहर्ता को अपने घर में लाने की तैयारियों में जुटा है। भगवान गणेश की प्रतिमा को शुभ और मंगल माना जाता है। कारीगर भी पूरी मेहनत और लगन से गणपति की प्रतिमाओं को अंतिम रूप दे रहे हैं।

इसके लिए शहर के पश्चिमी हिस्से में स्थित तालबन्ना और पूर्वी छोर पर स्थित महाराजपुर के कुमारी के समीप रहने वाले कुछ ऐसे परिवार हैं, जिनका पुश्तैनी काम ही मूर्तियां बनाना है। हमने उनसे बात की। तालबन्ना के संदीप कुमार बताते हैं कि हमारा पुश्तैनी काम यही है।

मूर्तियों को बनाने का काम बारह मास चलता रहता है। नवरात्रि में दुर्गा माता की, होली के समय होलिका, दिवाली पर काली, लक्ष्मी एवम गणेश, विषहरी पूजा में मां विषहरी, लखी पुजा में मां लखी और अब गणेश की प्रतिमा तैयार कर रहे हैं।

विपिन पंडित कहते हैं कि हमारे पास मात्र दो सौ से दो हजार तक की गणपति की मूर्तियां उपलब्ध है। महाराजपुर स्थित कुमारी के जितेंद्र पाल ने कहा कि हमारे पास सारा कच्चा माल बंगाल से आता है। छोटी–छोटी मूर्तियों को लोग अपने अपने घरों और प्रतिष्ठानों के लिए ले जाते हैं और बड़ी वाली प्रतिमा को पंडालों में स्थापित करते हैं।

आनंदी पाल बताते हैं कि हमारे पास छः इंच से लेकर पांच फीट तक की गणपति की मूर्तियां हैं। पांच फीट ऊंची मूर्ति पांच हजार की पड़ती हैं, उससे बड़ी या छोटी मूर्ति पर एक हजार रूपया प्रति फूट का हिसाब है। उन्होंने बताया कि यहां इकोफ्रेंडली मूर्तियां मिलती हैं।

प्रेम पाल ने बताया कि हमारे द्वारा बनाई गई मूर्तियां जिले भर में बिक्री की जाती है। हमारे पास इकोफ्रेंडली मूर्तियां भी हैं, जो पानी में जल्द घुल जाती है, जिससे जलीय जीवों और पर्यावरण पर कोई खतरा नहीं रहता।

साहिबगंज से संजय कुमार धीरज

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