बीमारों का इलाज करने वाले अस्पताल को इलाज की जरूरत
साहिबगंज :- सदर अस्पताल बीमारों का इलाज करते- करते खुद ही बीमार हो चला है।अब खुद ही इसे इलाज की जरूरत है।क्योंकि किसी भी अस्पताल या चिकित्सकीय व्यवस्था में साफ-सफाई के चाक-चौबंद होने का काफी महत्व है, परंतु साहिबगंज सदर अस्पताल इससे इतर नजर आता है।
बिल्डिंग के पीछे बने मिनी तलाब मच्छरों का अड्डा बन चुका है।साफ सफाई ना होने से यहां काफी तादाद में मच्छर पैदा हो गए हैं।इन मच्छरों से डेंगू,मलेरिया सहित कई अन्य बीमारियों के फैलने का डर सदा बना रहता है।कचरे के निस्तारण की यहां कोई पुख्ता व्यवस्था नजर नहीं आती।पोस्टमार्टम हाउस के बगल में मेडिकल कचरे का अंबार कभी भी देखा जा सकता है।इन कचरों को कुत्तों, गायों एवं बकरियों द्वारा नोचा एवं खाया जा रहा है।
साथ ही कचरे को इधर- उधर फैलाया भी जा रहा है।अस्पताल परिसर में आवारा पशुओं का भी जमघट सामान्य बात है। मेडिकल कचरे के निपटारे के लिए कहने को तो दो- दो मेडिकल पीट बने हैं,परंतु मेडिकल पीट के खुले होने से उसके होने या ना होने से कोई फर्क नजर नहीं आता।पशु- पक्षी इन कचरों पर बैठते हैं, जिससे संक्रमण फैलने की तीव्र संभावना बनी रहती है।
यही नहीं, सदर अस्पताल के पीछे या अस्पताल के छत पर कचरे का अंबार लगा रहता है।स्लाइन की बोतलें हों या उपयोग किया जा चुका थर्मोकोल की प्लेट, जिसका उपयोग या तो मरीजों के द्वारा या स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा किया जाता है, बेतरतीब तरीकों से इधर-उधर फेंके मिल जाएंगे।
कोरोना काल में जब सारा विश्व मास्क एवं सैनिटाइजर का उपयोग कर रहे हैं तब साहिबगंज सदर अस्पताल में यह दोनों चीजें नदारद मिलती हैं।मरीजों को मास्क एवं सैनिटाइजर के लिए जागरूक करना तो दूर, स्वास्थ्य कर्मी खुद भी इन चीजों का उपयोग कभी नहीं करते।सदर अस्पताल में सैनिटाइजर मशीन भी लगाए गए थे, परंतु इन दिनों वे शोभा की वस्तु बनी हुई है।
हजारों के सैनिटाइजर मशीन एवं लाखों के मेडिकल पीट स्वास्थ्य विभाग को मुंह चिढ़ाते नजर आ रहै हैं।सदर अस्पताल का शौचालय तो किसी के आने - जाने लायक है ही नहीं।शौचालय की बदबू से कोई उधर से गुजरना भी पसंद नहीं करता।चिकित्सकों की कमी के कारण अक्सर एक ही चिकित्सक ओपीडी में नजर आते हैं।जबकि अलग अलग रोगियों के लिए अलग - अलग डॉक्टर की मौजूदगी जरूरी होती है।तभी तो इस अस्पताल में भर्ती मरीज, उनके परिजन यही कहते हैं,"मरीजों का इलाज करने वाले अस्पताल को खुद इलाज की जरूरत है।
By: Sanjay kumar Dhiraj
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