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पापी पेट का सवाल है : मदों के बाल व दाढ़ी बनाकर अपने परिवार की आजीविका चलाती हैं ये महिला


ड़े - बड़े ब्यूटी पार्लरों में हम देखते हैं कि एक महिला पुरुषों के बाल काटती है। लेकिन यही काम जब कोई औरत गांव में घूम - घूम के करे तो सुनने में थोड़ा अजीब लगता है। एक गांव में महिला घर - घर जाकर पुरुषों के बाल दाढ़ी काटती है।

पापी पेट का सवाल है : मदों के बाल व दाढ़ी बनाकर अपने परिवार की आजीविका चलाती हैं ये महिला

उस महिला ने समाज के तानों को दरकिनार किया है और अब यही उसकी आजीविका भी है। जी हां बिहार के सीतामढ़ी की यह कहानी है। जहां सुखचैन देवी नाम की एक महिला अपनी गरीबी को दूर करने के लिए पुरुषों के बाल और दाढ़ी बनाती है।




सुखचैन के लिए नाई का काम थोड़ा मुश्किल जरूर था क्योंकि वो महिला जो ठहरी। पहले तो गांव के पुरुष बाल-दाढ़ी बनवाने से हिचकते थे, लेकिन वह मायके में ही रहती हैं, इसलिए उसे लोग बेटी और बहन कहने वाले लोग हैं।


हर दिन करीब 200 रुपये कमा लेती हैं। सुखचैन का जन्म ही नाई परिवार में हुआ है। इसलिए उसने यह काम किसी से सीखा नहीं। मां - बाप की एकलौती संतान होने के कारण बचपन में उनके पिता जहां भी दाढ़ी और बाल बनाने जाते थे, साथ ले जाते थे।



सुखचैन का कहना है कि पहले पास-पड़ोस में लोगों के यहां शादी-ब्याह के मौके पर महिलाओं के बाल और नाखून काटती थी। धीरे-धीरे पुरुषों की हजामत करने लगी। आंखों में सपने लिए वो कहती हैं कि अगर ट्रेनिंग का मौका और साधन मिले तो ब्यूटी पार्लर खोल लूंगी। वह कहती हैं कि तीनों बच्चे अच्छी तरह से पढ़-लिख जाएं, इसीलिए इस काम को करती हूं।

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