लोग एम्बुलेंस से नहीं बल्कि खटिया पर लादकर डॉक्टर के पास ले जाते हैं मरीज
Sahibganj News : साहिबगंज जिले में खाट पर हेल्थ सिस्टम को ढोने की एक तस्वीर जिले के महाराजपुर स्थित गदाई दियारा के नाथू टोला से आई है। जहां एक महिला की तबीयत खराब होने बाद मरीज को उनके परिजन खटिया पर उठाकर ले जा रहे हैं।
बताया जाता है कि गदाई दियारा के गंगासागर चौधरी की माता और हाजी चौधरी की पत्नी सावित्री देवी की तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद उसके परिजन खटिया को डोली बनाकर उसे पास के गांव महाराजपुर के नया टोला के ग्रामीण चिकित्सक के पास ले गए।
मरीज को एंबुलेंस नहीं मिलने की शिकायत पर हिन्दू धर्म रक्षा मंच के प्रदेश महासचिव बजरंगी महतो ने गंगासागर की मदद की और निजी क्लीनिक पहुंचकर इलाज कराया। बजरंगी महतो ने स्वास्थ्य विभाग की इस उदासीनता पर अफसोस जताते हुए कहा कि एम्बुलेंस सेवा सिर्फ अमीरों के लिए ही उपलब्ध रहती है।
गरीबों के लिए तो सिर्फ शोभा की वस्तु ही है। उन्होंने शहरी क्षेत्रों सहित जिले के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा बहाल करने की मांग सिविल सर्जन डॉ अरविंद कुमार से की है। बहरहाल साहिबगंज के पिछड़े गांवों एवं पहाड़ी के इलाकों में बसे लोगों के लिए इस तरह की तस्वीरें आम हैं।
ये पहली मर्तबा नहीं है कि किसी मरीज को अस्पताल या निजी क्लीनिक या किसी डॉक्टर तक पहुंचाने के लिए चारपाई का सहारा लिया गया है। आप समझ सकते हैं कि यह तस्वीर कितनी भयावह है।
इस फोटो को देखकर ऐसा लगता है कि पूरा जिला का पूरा का पूरा हेल्थ सिस्टम मानो खाट पर आ गई हो। सिविल सर्जन ने इस संबंध में उक्त गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी से जानकारी मांगी है।
मरीजों की जान ताक पर रखकर होता है इलाज
पूर्वांचल सूर्य ने जब शहर के निजी हॉस्पिटलों की पड़ताल की तो पता चला कि कई अस्पताल मरीजों की जान को ताक पर रखकर उपचार कर रहे हैं। इनमें न तो अग्निशमन संबंधित पर्याप्त साधन हैं और न ही अप्रिय घटना से निपटने के सक्षम उपाय हैं।शहर की सेहत की जिम्मेदारी संभाल रहे स्वास्थ्य विभाग के कर्ताधर्ता भी इस लापरवाही में अपरोक्ष रूप से शामिल हैं। सीएमएचओ व प्रशासन के पास इन अस्पतालों की सुध लेने का समय नहीं है। मरीजों से मनमाना शुल्क वसूलने के बावजूद ये निजी अस्पताल उन्हें वे सुविधाएं नहीं दे रहे, जो सरकारों ने कानून बनाकर लागू कर रखी हैं।
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