ATM का कोड चार अंकों का ही क्यों होता है : जानिए ATM के बारे में विस्तृत जानकारी


वैसे तो एटीएम आजकल एक नॉर्मल शब्द हो गया है और एटीएम ने लोगों का काम आसान कर दिया है. छोटे - छोटे कामों के लिए अब बैंकों के चक्कर नहीं लगाने होते हैं. अचानक से पैसे की जरूरत पड़ जाए तो एटीएम को पहले विकल्प के रूप में देखा जाता है. लेकिन इसके बारे में कुछ और बातें हैं जो शायद आप नहीं जानते हैं. आपको पता है कि ATM का कोड चार अंको का ही क्यों होता है, पहली बार एटीएम से पैसे कब निकाले गए. यदि नहीं,  तो आइए आज हम आपको बताते हैं.

ATM का कोड चार अंकों का ही क्यों होता है : जानिए ATM के बारे में विस्तृत जानकारी

एटीएम के इस्तेमाल ने लोगों के बैंकिंग करने का तरीका बदल दिया, आज आप एटीएम से पैसे निकालने के अलावा भी अन्य काम जैसे की मिनी स्टैट्मन्ट चेक करना, अपना रजिस्टर्ड मोबाईल नंबर बदलना, नया डेबिट कार्ड अप्लाइ करना, चेक बुक अप्लाइ करना, बिजली बिल भरना आदि काम किए जा सकते है.

एटीएम क्या है?

एटीएम एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है. इसकी मदद से ब्रांच जाए बिना पैसे निकाले जा सकते हैं. जिसके पास एक डेबिट कार्ड होता है, वह एटीएम का उपयोग कर सकता है. एटीएम से पैसे निकालने, बिल भरने, दूसरे अकाउंट मे पैसे ट्रांसफर करने, रजिस्टर्ड मोबाईल नंबर बदलने जैसी सुविधाएं दी जाती है. इसका उपयोग करने के लिए बैंक ग्राहक को ATM या डेबिट कार्ड देता है.

इसमें एक मैगनेटिक चिप लगी होती है. इसमें अकाउंट होल्डर की सभी जानकारी होती है. नए तरह के कार्डों में मेगनेटिक पट्टी से साथ चिप भी आने लगी है, जो एक सर्किट की तरह काम करती है. जिसकी सहायता से एटीएम कार्ड संबंधी जानकारी और उसकी सेवा दे पाता है.

ये है एटीएम का पूरा नाम

एटीएम का पूरा नाम Automated Teller Machine है. जिसे हिन्दी में स्वचालित गणक मशीन भी कहा जाता है. एटीएम का आविष्कार John Shepherd-Barron और Donald Wetzel द्वारा किया गया. कई देशों मे इसे कैश पाइंट बैंनकोमैट भी कहते हैं.

डेबिट कार्ड और एटीएम में अंतर

डेबिट कार्ड और एटीएम कार्ड में अंतर है. डेबिट कार्ड से ATM मशीन से पैसे निकालने के साथ—साथ Online पेमेंट भी किया जा सकता है. तो वहीं एक एटीएम कार्ड का इस्तेमाल केवल एटीएम से पैसे निकालने की लिए ही कर सकते हैं. इसे Online पेमेंट के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता.

डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देने के लिए आजकल भारत में बैंकों द्वारा एटीएम कार्ड की जगह डेबिट कार्ड ही दिया जाने लगा है. इसे बैंक डिजिटल पेमेंट कंपनियों जैसे MasterCard, Visa, Rupay Card के साथ मिलकर जारी करती है. जबकि एटीएम कार्ड को बैंक बिना किसी की मदद से स्वयं जारी कर सकता है.

एटीएम का इतिहास

एटीएम मशीन का शुरुआत 1960 मे हुई थी, हालांकि उस समय की एटीएम मशीन में काफी कमियां थी, यही कारण था की citibank के ग्राहकों को ये मशीन बिल्कुल पसंद नहीं आई. इसके बाद आधुनिक युग की ATM मशीन का प्रयोग 27 जून 1967 मे लंदन के बार्केले बैंक ने किया था.

प्रारंभिक समय में इसकी सुविधा कुछ ही कस्टमर्स के पास थी. ऐसा माना जाता है कि बैरन अपनी पत्नि की सलाह पर एटीएम कार्ड का पिन 4 अंकों का रखना चाहते थे. उनके अनुसार लोग 6 अंकों के पिन को जल्दी भूल जाते हैं. तभी बैरन ने एटीएम पिन को 4 अंकों का रखा. तब से आज तक 4 अंकों का एटीएम पिन ही इस्तेमाल किया जाता है.

भारत मे पहली बार एटीएम की सुविधा 1987 में शुरू थी. पहला एटीएम हॉगकॉग एंड शंघाई बैंकिंग कॉरपोरेशन (एचएसबीसी) द्वारा मुंबई में किया गया था.

कितने प्रकार के होते हैं एटीएम डेबिट कार्ड

टेक्नॉलजी के आधार पर डेबिट कार्ड को बांटा गया है. यहां बताए जा रहे कार्ड के प्रकार डेबिट कार्ड के आधार पर हैं.
1) Rupay Debit Card : ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए उपयोग किए जाने वाले इस कार्ड से पेमेंट करने पर सबसे कम चार्ज काटा जाता है. रुपए डेबिट कार्ड इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट मे एक मात्र भारत का घरेलू पेमेंट सिस्टम है. इसे 2012 मे NPCI ने लॉन्च किया था.यह अन्य कार्ड की तुलना में सस्ता है. इसे भारत के बाहर उपयोग नहीं किया जा सकता. अत: भारत में ही लेन—देन करने वालों के लिए यह अच्छा विकल्प है.

2) Visa Debit Card : अगर आप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेबिट कार्ड उपयोग करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको Visa Debit Card का उपयोग करना होगा. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किए जाने वाला डेबिट कार्ड है. इसे सभी तरह के ऑनलाइन और इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के लिए उपयोग किया जा सकता है. पूरी दुनिया में अपनी सेवाएं देनी वाली यह एक अमेरिकी कंपनी है.


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