कप्तान रोहित शर्मा की खेल भावना, शनाका का शतक संघर्ष और पहले वन डे में भारत की 67 रनों से जीत


क्रिकेट

खेल भावना क्या होती है? इसपर आप सबने पहले भी बहुत सुना होगा, लेकिन रोहित शर्मा ने बांग्लादेश के शनाका के लिए खेल के मैदान में जो किया है, उसकी हर तरफ तारीफ हो रही है। 

कप्तान रोहित शर्मा की खेल भावना, शनाका का शतक संघर्ष और पहले वन डे में भारत की 67 रनों से जीत


भारत के 374 के टारगेट के जवाब में श्रीलंका को जीतने के लिए 3 गेंदों पर 79 रन बनाने थे। नॉन स्ट्राइक पर श्रीलंका के कप्तान दासुन शनाका 98* रन बनाकर बल्लेबाजी कर रहे थे। स्ट्राइक पर रजिता थे और शनाका सिंगल के जरिए वापस स्ट्राइक हासिल करने के लिए बेताब हुए जा रहे थे।

इसी उधेड़बुन के बीच मोहम्मद शमी दौड़ते हुए गेंदबाजी करने आए और उनका एक्शन पूरा होने के पहले ही शनाका बल्ला समेत नॉन स्ट्राइकर क्रीज से बाहर निकल गए। शमी वापस मुड़े और गेंद से गिल्लियां हवा में बिखेर दीं। एक पल में शनाका रन आउट हो चुके थे। इस तरीके से आउट करने को "मांकडिंग" कहते हैं। 

आईसीसी ने भी रन आउट के लिए ऐसा नियम लागू किया है। ऐसे में शनाका को निश्चित तौर पर वापस लौटना पड़ता। हकीकत यह थी कि श्रीलंकाई कप्तान ने अकेले भारत से संघर्ष किया था। अगर वह नहीं होते तो टीम इंडिया यह मुकाबला कम से कम 200 रनों से जीत जाती।

शनाका ने छोटी-छोटी साझेदारियां बनाकर संघर्ष जारी रखा। उनकी बल्लेबाजी देखकर एक पल को तो तमाम इंडियन क्रिकेट फैंस यह सोचने पर मजबूर हो गए कि पहले T-20 सीरीज और अब वनडे मुकाबले में इतना लाजवाब प्रदर्शन कर रहा यह बल्लेबाज आखिर आईपीएल में बिका क्यों नहीं?

खैर, शनाका अपने दूसरे वनडे शतक से केवल 2 रन दूर थे। रोहित शर्मा को शतक की अहमियत बखूबी पता है, क्योंकि पहली पारी में वह भी 83 रन बनाकर आउट हो गए थे। ऐसे में कप्तान रोहित शर्मा ने अपील वापस ले ली और शनाका को शतक पूरा करने का अवसर दिया। ऐसा करके हिटमैन ने बड़ा दिल दिखा दिया। अगली गेंद पर उन्हें स्ट्राइक नसीब हो गई। बदले में पांचवीं बॉल पर चौका लगाकर शनाका ने सेंचुरी पूरी कर ली। वह 88 गेंदों पर 12 चौकों और 3 छक्कों की मदद से 108 रन बनाकर वापस लौटे।
 
रोहित शर्मा ने मुकाबले के बाद कहा कि हम शनाका को उस तरीके से आउट करना चाहते थे, जैसा हमने सोचा था। हम नहीं चाहते थे कि उनकी ब्रिलियंट इनिंग का खात्मा ऐसा हो।

रोहित शर्मा का यह निर्णय इसलिए भी सही था, क्योंकि शनाका ने भारतीय खिलाड़ियों के प्रति भी हमेशा उदारता दिखाई है। दूसरे टी-20 मुकाबले में जब अक्षर पटेल ने वन मैन आर्मी की तरह 63 रन बना दिए थे, लेकिन शनाका के अंतिम ओवर में टीम को जीत नहीं दिला सके थे, तो लंकाई कप्तान ने आकर अक्षर की पीठ थपथपाई थी और उनका हौसला बढ़ाया था। वह शतक डिजर्व करते थे और इसलिए रोहित पर उंगलियां नहीं उठाईं जानी चाहिए। भारत वैसे भी मुकाबला जीत चुका था और ऐसे में उस रनआउट की टीस जीत का मजा किरकिरा कर देती।

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