"सिनेमा की बातें" एक ब्याह-शादी का एल्बम जिसने तोड़ डाले 90 के दशक सहित हर दशक के बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड और बन गई ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर, बात करते हैं हिंदी सिनेमा की आइकॉनिक फिल्म "हम आपके हैं कौन" की


नोरंजन
आमतौर पर फिल्म की कहानी के बीच में गाने डाले जाते हैं, लेकिन फिल्म "हम आपके हैं कौन" में मामला उल्टा था। 

"सिनेमा की बातें" एक ब्याह-शादी का एल्बम जिसने तोड़ डाले 90 के दशक सहित हर दशक के बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड और बन गई ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर, बात करते हैं हिंदी सिनेमा की आइकॉनिक फिल्म "हम आपके हैं कौन" की

यहां पर गानों के बीच में थोड़ी बहुत फिल्म डाली गईं थीं। फिल्म में कहानी के नाम पर कुछ नहीं था और स्क्रीनप्ले तो इतना कमजोर था कि 15-20 मिनट की तो जूता छुपाई की रस्म ही डाल दी गई और 10-15 मिनट अंत्याक्षरी ने खराब कर दिए। फिल्म में हर 8-10 मिनट के बाद एक गाना था और बीच में जो स्क्रीनप्ले था, वो इसलिए था कि गानों को फिल्म की भुमिका में फिट किया जा सके।

हालांकि रेणुका की मौत के बाद का स्क्रीनप्ले लाजबाव था।

इस फिल्म में ना गाली गलौज थी, ना ही गोलियां चलती है और ना ही कोई मारधाड़ थी, ना ही गाडियां हवा में उड़ती है और ना ही गुंडे हवा में उड़ते हैं और फिल्म के पात्रों के बीच कोई बदले की भावना भी नहीं थी। फिर भी फिल्म में कुछ ऐसा था जो इसे मास्टरपीस बनती है।

फिल्म के पात्रों के बीच भले ही बदले की भावना नहीं हो, लेकिन त्याग की भावना कूट- कूट कर भरी थी। चाचा आलोकनाथ भतीजों की देखरेख के लिए विवाह का त्याग करता है। छोटा भाई बड़े भाई की पत्नी की मौत के बाद अपनी प्रेमिका का त्याग कर देता है। एक बहन जो अपनी बहन की मौत के बाद उसके बच्चे के देखभाल के लिए अपने प्रेम का त्याग कर देती है और अंत में बड़ा भाई सच्चाई जानने के बाद अपने विवाह का ही त्याग कर देता है। 

दर्शकों को ये त्याग की भावना बहुत अधिक पसंद आई थी। ये फिल्म हिंदू संस्कृति, हिंदू विवाह पद्धति को दिखाती है। किस तरह से एक परिवार में विवाह से पहले का माहौल होता है और विवाह के बाद क्या माहौल होता है। बच्चा पैदा होने पर कैसे खुशियां मनाई जाती है?ये फिल्म ये सब कुछ दिखाती है जिससे दर्शक अपनापन महसूस करता है। सभी जानते हैं की माधूरी दीक्षित का स्टारडम लाजवाब है। यूं तो फिल्म में छोटे- मोटे बहुत सारे कलाकार थे, लेकिन स्टार पावर सिर्फ माधुरी दीक्षित के पास थी। 

माधुरी ने निशा नाम की लड़की के पात्र को बड़ी ही खुबसूरती से जिया है। निशा किशोरावस्था से परिपक्वता तक का सफर तय करती है और माधुरी दीक्षित इस रोल में खुब जमी हैं। फिल्म में रामलक्ष्मण ने संगीत दिया था और लता मंगेशकर और एसपी बालासुब्रमण्यम ने इन मधुर गीतों को गाया था। अगर इस फिल्म में फिल्म नहीं भी होती, तो भी ये फिल्म गानों के लिए देखी जा सकती है। बैकग्राउंड म्यूजिक भी बहुत शानदार था इस फिल्म का। इस फिल्म के सारे ही गीत चले थे और इस फिल्म का फिल्मांकन भी बहुत खुबसूरत तरीके से किया गया था।

ये सांस्कृतिक फिल्म उच्च पारिवारिक संस्कारों को दिखाती है, संयुक्त परिवार को दिखाती है, भाइयों के बीच के प्रेम को दिखाती है, इसलिए ये फिल्म ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर साबित हुई और आज एक कल्ट क्लासिक फिल्म मानी जाती है।

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