यूपी में माफियाओं के लिए ऐशगाह से कम नहीं हैं जेल, 'पिस्तौल' से लेकर 'बेगम' तक सबका है जेल में आने का जुगाड़


खनऊ : उत्तरप्रदेश में आम कैदी जेल के कर्मचारियों और अधिकारियों को चढ़ावा न चढ़ा पाने के चलते भले ही जेल में गौशाला से लेकर खेतों तक में काम करने को मजबूर होता हों, लेकिन माफिया के लिए जेल किसी ऐशगाह से कम नहीं है। उनकी सुख-सुविधाओं का आखिर ऐसा कौन सा सामान है जो उन्हें जेलों में उपलब्ध न हो?    
यूपी में माफियाओं के लिए ऐशगाह से कम नहीं हैं जेल, 'पिस्तौल' से लेकर 'बेगम' तक सबका है जेल में आने का जुगाड़

सरकारें किसी की भी आती - जाती रही हों, जेल से संगठित अपराधों का संचालन लगातार जारी रहा। प्रयागराज के चर्चित उमेश पाल हत्याकांड को जिस शातिराना अंदाज से जेल के भीतर से अतीक और उसके भाई अशरफ ने अंजाम दिया, उसने उत्तर प्रदेश की बरेली जेल से लेकर गुजरात की साबरमती जेल तक एक जैसा सूरतेहाल बयान कर दिया।

जेल से अंजाम देने वाली आपराधिक वारदातों की कहानी नई नहीं

दरअसल, उत्तर प्रदेश में जेल से अंजाम देने वाली आपराधिक वारदातों की कहानी नई नहीं है। यूपी के कुख्यात माफिया प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या कर दी गई। बहुजन समाज पार्टी के पूर्व विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के आरोप में बागपत कोर्ट में मुन्ना बजरंगी की पेशी होनी थी। उसको झांसी से बागपत लाया गया था। इसी दौरान जेल में उसकी हत्या कर दी गई। मुन्ना बजरंगी को 10 गोलियां मारी गईं वो भी जेल के भीतर।

मतलब साफ है, पिस्तौल से लेकर बेगम तक सबका जेल में आने का जुगाड़ है। बस इसके लिए मुकम्मल राशि जेल के अधिकारियों और कर्मचारियों तक पहुंचनी चाहिए।

चित्रकूट जेल में बंद विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी से उनकी पत्नी जेल में मुलाकात करती अकेले बंद कमरे में पकड़ी गईं। इस मामले में जेल अधिकारी निलंबित हुए, जेल भी गए। अलीगढ़ से यूपी पुलिस का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया। जिसकी वजह से पुलिस की जमकर फजीहत हो रही है और 

कई गंभीर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। दरअसल 24 जनवरी 2021 को इलाके में कपड़े की फेरी लगाने वाले युवक की लूट के दौरान चाकुओं से गोदकर हत्या हुई थी। पुलिस ने हत्या के जुर्म में जिस शख्स को जुलाई 2021 में जेल भेजा, वह लूट और हत्या की घटना वाले दिन पहले से ही जेल में बंद था। अब सवाल यह है कि जेल में रहकर कैदी हत्या और लूट कैसे कर सकता है।

जौनपुर में बंदी रक्षकों पर मुलाकातियों से वसूली करने का आरोप लगाते हुए दोपहर में बंदी उग्र होकर बैरकों से बाहर आ गए। उन्होंने एक बदहाल शौचालय की ईंटें लेकर चलाने लगे। समझाने गए मुख्य बंदी रक्षक को दौड़ा लिया। जेल अधीक्षक ने तुरंत ही एसपी को सूचना दी। भारी फोर्स जेल में पहुंच गया। जेल अफसरों के काफी देर तक समझाने-बुझाने पर बंदियों का गुस्सा शांत हुआ। करीब तीन घंटे बाद बंदी बैरकों में लौटे।

जौनपुर में महिला बंदी रक्षक से छेड़खानी को लेकर उपजे विवाद में पिटाई से लखौवां निवासी बंदी श्याम यादव मौत हो गई थी। इसके बाद उग्र हुए बंदियों ने बंदी रक्षकों की लाठी छीनकर उनकी पिटाई कर दी थी। पिटाई और पथराव में छह बंदी रक्षक घायल हुए थे। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को पानी की बौछार, आंसू गैस के गोले, 50 राउंड रबर बुलेट दागने पड़े थे। शाम साढ़े 4 बजे से शुरू हुआ हंगामा रात 10 बजे तक चला था।
 
आपको बता दें कि सरकारें भले ही किसी राजनीतिक दल की उत्तर प्रदेश में आती जाती रही हों, यहां की जेलों की हालत और सुरक्षा व्यवस्था शातिर अपराधियों और माफिया के हाथों की कठपुतली ही बन कर रहीं। बरेली जेल में जिस तरह माफिया अतीक के भाई अशरफ ने उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम देने से पहले उसमें शामिल शूटरों से मुलाकात की उसने जेलों की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है।

खानापूरी के तौर पर सरकार ने बरेली जेल के पांच अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित भले ही कर दिया हो, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं कि प्रदेश की जेलों में भविष्य में सनसनीखेज वारदातों का ताना-बाना नहीं बुना जाएगा।
Connect with Sahibganj News on Telegram and get direct news on your mobile, by clicking on Telegram.

0 Response to "यूपी में माफियाओं के लिए ऐशगाह से कम नहीं हैं जेल, 'पिस्तौल' से लेकर 'बेगम' तक सबका है जेल में आने का जुगाड़"

إرسال تعليق

साहिबगंज न्यूज़ की खबरें पढ़ने के लिए धन्यवाद, कृप्या निचे अनुभव साझा करें.

Iklan Atas Artikel

Iklan Tengah Artikel 2

Iklan Bawah Artikel