उस्ताद जाकिर हुसैन: पहले ऐसे भारतीय संगीतकार, जिन्हें ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में आमंत्रित किया गया, 2 बार ग्रैमी अवार्ड से सम्मानित, वाह उस्ताद वाह!
उस्ताद जाकिर हुसैन की उंगलियां जब तबले पर पड़ती हैं तब हर ओर तालियों की गूंज तो होती ही है, साथ ही हर कोई उसकी धुन को सुनकर कह ही उठता है- 'वाह उस्ताद वाह…!'
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन महज़ तीन साल के थे जब उनके पिता उस्ताद अल्ला रक्खा ख़ाँ ने उन्हें पखावज सिखाना शुरू कर दिया था। उस्ताद अल्ला रक्खा का नाम भी उस दौर के मशहूर तबला वादकों में शुमार था। वह हिंदुस्तान के जाने-माने कलाकार हुआ करते थे। उन्होंने बेटे को संगीत की हर बारिकी सिखाई। ज़ाकिर बहुत ही छोटे थे, जब उन्होंने कार्यक्रमों में तबला वादक के रूप में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। और 1987 में उनका पहला सोलो म्यूज़िक एल्बम रिलीज़ हुआ था, नाम था- 'मेकिंग म्यूज़िक'।
एक बार ज़ाकिर ने कहा था- "अपने आस-पास बहुत सारे प्रतिभावान युवा कलाकारों को देखना दिल को सुकून देने वाला होता है। मैं उनका हर तरह से समर्थन करता हूं, इससे मेरा भी फ़ायदा हो जाता है और ऐसे ही मेरा संगीत और मैं युवा बने रहते हैं।" हुसैन की कला भारत के साथ ही विश्व भर में पहचानी जाती है। वह पहले भारतीय संगीतकार हैं जिन्हें ऑल-स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में हिस्सा लेने के लिए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओर से व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया गया था।
उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। वहीं संगीत की दुनिया का सबसे बड़ा ग्रैमी अवॉर्ड उन्हें दो बार मिल चुका है, साल 1992 में 'द प्लेनेट ड्रम' और 2009 में 'ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट' के लिए।
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