राजमहल पहाड़ मामले में एनजीटी का आया आदेश, ईडी व प्रदुषण बोर्ड ने दाखिल किया जवाबी हलफनामा
ईडी के दाखिल रिपोर्ट से पत्थर माफियाओं के हाथ पांव फुले
साहिबगंज : जिले के चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता सह पर्यावरण प्रेमी सैयद अरशद नसर द्वारा जिला के ऐतिहासिक राजमहल पहाड़ के संरक्षण व संवर्धन हेतु व जिले में अवैध रूप से संचालित सभी स्टोन माईंस व क्रशर को संपूर्ण रूप से बंद कराने को लेकर एनजीटी,
ईस्टर्न जोन कोलकाता में दायर याचिका संख्या-23/2017 बीते गुरूवार को पीठ के जुडिशियल मेंबर जस्टिस बी.अमित स्थालेकर व एक्स्पर्ट मेंबर डा.अरूण कुमार वर्मा ने की थी। सुनवाई पश्चात एनजीटी ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में गुरूवार को एनजीटी का फैसला आया।
ईडी ने व झारखंड राज्य प्रदुषण बोर्ड की ओर से चार सौ चौहत्तर पेज में जवाबी हलफनामा दाखिल किया, जिसे एनजीटी ने रिकार्ड में रख लिया। इसी मामले में एक याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अपनी दायर याचिका को वापस लेने का आवेदन दाखिल किया। जिसकी जांच एनजीटी ने करने का आदेश पारित किया।
इस मामले में याचिकाकर्ता अरशद नसर की तरफ़ से कोलकाता हाईकोर्ट के विद्वान अधिवक्ता पौशाली बनर्जी व दीपांजन घोष ने पक्ष रखा था, तो दुसरी तरफ से प्रवर्तन निदेशालय, यानी ईडी नई दिल्ली, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली, सूबे के मुख्य सचिव व झारखंड प्रदूषण बोर्ड रांची की ओर से सरकारी अधिवक्ताओं ने अपन-अपना पक्ष रखा,
एनजीटी के आए इस फैसले से व ईडी व प्रदुषण बोर्ड द्वारा दाखिल जवाबी हलफनामा से पुलिस प्रशानिक पदाधिकारियों समेत पत्थर कारोबारियों व माफियाओं में कोहराम व हड़कंप मच गया है। ईडी के द्वारा दाखिल जवाबी हलफनामा दाखिल करने के बाद एनजीटी की गाज किस–किस पर गिरेगी, अब सभी को इसी की चिंता सता रही है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 13 मई को होगी, जिस पर सभी की नजरें टिक गईं है।
साहिबगंज से संजय कुमार धीरज
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