अंशुल कंबोज ने मैनचेस्टर में किया टेस्ट डेब्यू, बने भारत के 318वें खिलाड़ी
स्पोर्ट्स डेस्क: हरियाणा के करनाल जिले के फाजिलपुर गांव से आने वाले युवा तेज़ गेंदबाज़ अंशुल कंबोज ने मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर भारत के लिए टेस्ट डेब्यू कर इतिहास रच दिया। वह भारत के 318वें टेस्ट खिलाड़ी बने। उनकी यह उपलब्धि न सिर्फ उनके खेल कौशल की पहचान है, बल्कि उनके पिता के विश्वास और परिवार की मेहनत की भी मिसाल है।
अंशुल का क्रिकेट सफर सामान्य नहीं रहा। बचपन में अधिक वजन के चलते उनके पिता उन्हें रोज़ सुबह मैदान ले जाया करते थे ताकि वह फिट रह सकें। लेकिन वहीं मैदान में अंशुल की रुचि दौड़ने से ज्यादा क्रिकेट की गेंदबाज़ी में बनी। उनके पिता ने देखा कि बेटा गेंद उठाकर बार-बार फेंक रहा है, और उसकी आंखों में खेल के प्रति विशेष चमक है।
छोटी शुरुआत, बड़ी उड़ान
वहीं से अंशुल के क्रिकेट सफर की नींव पड़ी। उन्होंने निरंतर मेहनत की — रनअप, टप्पा और लाइन-लेंथ पर फोकस करते हुए खुद को तराशा। उनके प्रदर्शन ने जल्द ही चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा। रणजी ट्रॉफी में 10 विकेट, विजय हजारे ट्रॉफी में 17 विकेट, और फिर आईपीएल की टीम मुंबई इंडियंस में चयन ने उनके करियर को गति दी।
टेस्ट डेब्यू से रचा नया अध्याय
इसी मेहनत और निरंतर प्रदर्शन का परिणाम है कि उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट टीम में जगह मिली और उन्होंने मैनचेस्टर में अपना डेब्यू किया। यह भारत के लिए खेलना सिर्फ एक खिलाड़ी का सपना नहीं, बल्कि एक पिता की दूरदृष्टि और पूरे परिवार के समर्पण की कहानी है।
पिता का समर्थन बना प्रेरणा
अंशुल के पिता का हमेशा एक ही मंत्र था — "टप्पा पकड़ के डालता रह बेटा।" यही बातें आज भारतीय क्रिकेट में एक और युवा चेहरे को स्थापित कर चुकी हैं।
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