पूर्णिया नरसंहार: पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे झारखंड सरकार के मंत्री
पूर्णिया नरसंहार: पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे झारखंड सरकार के मंत्री, बिहार सरकार की कानून व्यवस्था पर उठाए सवाल
साहिबगंज / पूर्णिया: बिहार के पूर्णिया जिले के टेटगामा गांव में पांच आदिवासियों की निर्मम हत्या के बाद झारखंड सरकार सक्रिय हो गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर एक उच्च स्तरीय शिष्टमंडल ने पूर्णिया पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की।
शिष्टमंडल में झारखंड सरकार के मंत्री रामदास सोरेन, राजमहल सांसद विजय कुमार हांसदा, और जेएमएम केंद्रीय सचिव सह प्रवक्ता पंकज मिश्रा शामिल थे।
घटनास्थल पर लिया हालात का जायजा
नेताओं ने पीड़ित परिजनों को राहत सामग्री प्रदान की और गांव के अन्य लोगों से घटना की जानकारी ली। इसके साथ ही उन्होंने बिहार प्रशासन के अधिकारियों से अब तक हुई कार्रवाई की जानकारी ली और हत्या की उच्चस्तरीय जांच की मांग की।
बिहार सरकार पर तीखा हमला
राजमहल सांसद विजय हांसदा ने कहा:
"यह सुनियोजित साजिश के तहत हुआ नरसंहार है। बिहार की भाजपा गठबंधन सरकार पूरी तरह विफल है। आज तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीड़ित परिवार से मिलने की जहमत नहीं उठाई।"
जेएमएम नेता पंकज मिश्रा ने कहा:
"यह देश की सबसे नृशंस हत्याओं में से एक है। परिवार को एक जगह मारा गया, दूसरी जगह जलाया गया और तीसरी जगह फेंका गया। बिहार की कानून व्यवस्था भाजपा के नियंत्रण में है।"
मंत्री रामदास सोरेन ने घटना को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा:
"हत्याकांड को अंजाम देने में लगभग 5 घंटे लगे। इतने लंबे समय तक पूर्णिया पुलिस क्या कर रही थी? यह लापरवाही नहीं, सुनियोजित चुप्पी थी।"
क्या है मामला?
घटना 7 जुलाई 2025 की है, जब पूर्णिया जिले के रानीगंज पंचायत के टेटगामा गांव में डायन बताकर एक ही परिवार के पांच सदस्यों को जिंदा जला कर मार डाला गया। मृतकों में शामिल हैं:
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बाबूलाल उरांव (मुखिया)
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सीता देवी (पत्नी)
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कालो मोसमात (मां)
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मनजीत उरांव (पुत्र)
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रानी देवी (बहू)
इस जघन्य घटना ने पूरे राज्य और देश को झकझोर दिया है।
शिष्टमंडल में शामिल प्रतिनिधि:
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मंत्री रामदास सोरेन
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सांसद विजय कुमार हांसदा
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जेएमएम प्रवक्ता पंकज मिश्रा
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मंत्री के सचिव अजय कुमार सिंह
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जिलाध्यक्ष अरुण कुमार सिंह
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उपाध्यक्ष संजीव शामू हेंब्रम
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युवा मोर्चा अध्यक्ष संजय गोस्वामी
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प्रवक्ता राजाराम मरांडी व अन्य
यह घटना आदिवासी अधिकारों, प्रशासनिक सक्रियता और बिहार की कानून व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल खड़े करती है। झारखंड सरकार की इस सक्रियता से स्पष्ट है कि पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग अब और तेज़ होने वाली है।
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