कोविड से संक्रमित लोगों के खून में थक्के बनने का खुलासा: नई रिसर्च में मिले महत्वपूर्ण सबूत


कोविड से संक्रमित लोगों के खून में थक्के बनने का खुलासा: नई रिसर्च में मिले महत्वपूर्ण सबूत

कोविड-19 महामारी से दुनिया अभी पूरी तरह उबर नहीं पाई है, और इस बीच वैज्ञानिकों ने लॉन्ग कोविड से जुड़े एक बड़े कारण का पता लगाया है। नई रिसर्च में पता चला है कि कोविड से संक्रमित हो चुके कई लोगों के खून में छोटे-छोटे थक्के (माइक्रोक्लॉट्स) और इम्यून सिस्टम में महत्वपूर्ण बदलाव लंबे समय तक चलने वाले लक्षणों का प्रमुख कारण हो सकते हैं।

रिसर्च के अनुसार, ज्यादातर लोग कोविड-19 संक्रमण के बाद कुछ दिनों में सर्दी, खांसी, बुखार और गले में दर्द जैसी सामान्य समस्याओं से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। लेकिन कई मरीज ऐसे हैं जिनमें थकान, सांस फूलना, शरीर दर्द और ब्रेन फॉग जैसे लक्षण महीनों या सालों तक बने रहते हैं। यही स्थिति लॉन्ग कोविड कहलाती है।

वैज्ञानिकों ने लॉन्ग कोविड मरीजों में दो अहम बदलावों की पहचान की है —
(1) माइक्रोक्लॉट्स: ये खून में मौजूद क्लॉटिंग प्रोटीन के असामान्य गुच्छे होते हैं, जिन्हें पहली बार कोविड संक्रमित मरीजों के नमूनों में देखा गया था।
(2) न्यूट्रोफिल में परिवर्तन: न्यूट्रोफिल नामक व्हाइट ब्लड सेल्स में ऐसा बदलाव पाया गया है, जो इन्हें अपना डीएनए बाहर निकालकर धागेनुमा संरचना बनाने के लिए प्रेरित करता है। इन्हें न्यूट्रोफिल एक्स्ट्रासेल्युलर ट्रैप्स (NETs) कहा जाता है, जो शरीर में संक्रमण को ढूंढकर नष्ट करने में भूमिका निभाते हैं।

रिसर्च टीम का मानना है कि ये दोनों कारक मिलकर लॉन्ग कोविड के लक्षणों को लंबे समय तक बनाए रखते हैं। इस खोज से भविष्य में लॉन्ग कोविड के बेहतर और अधिक सटीक इलाज का रास्ता खुल सकता है


रिपोर्ट: संजय कुमार धीरज | साहिबगंज न्यूज डेस्क

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