कविता: माँ की ममता कहाँ... रचना : मनीसा शर्मा...





माँ की ममता कहाँ

माँ याद बहोत आती है तेरी
 भर जाती है आँखें मेरी

सोचती हूँ में जाऊ कहाँ
पास तेरे में रहूँ सदा

माँ याद बहोत आती है तेरी
 भर जाती है आँखें मेरी.

रात में तू लोरी सुनती
तेरे बिना नींद कहाँ आती

तू न दिखे सामने मेरे तो
आखें मेरी हरदम भर जाती

सुबह हमें नींद से जगाती
हाथों से अपने खाना तू खिलाती

ममता तेरी नियारी है माँ
सारे जग से तू  प्यारी है माँ

 अच्छे गुण तू सिखाती
 सदाचार से परिपूर्ण हमें कराती
                  
माँ याद बहोत आती है तेरी
भर जाती है आँखें मेरी.




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