तीज़ पर संजय कुमार धीरज की विशेष रिपोर्ट...



तीज़ पर संजय कुमार धीरज की विशेष रिपोर्ट।


Sahibganj News: हरियाली तीज, या हरितालिका तीज, या श्रावणी तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हरियाली तीज जुलाई या अगस्त के महीने में आती है। हरियाली तीज मुख्यतः महिलाओं का पर्व है।

सावन के महीनों में जब संपूर्ण धरा पर हरियाली की चादर बिछी रहती है। तब प्रकृति के इस क्षण का आनंद लेने के लिए महिलाएं सामूहिक रूप से झूला झूलती हैं  लोकगीत गाकर उत्सव मनाती हैं। इस अवसर पर देश भर में कई जगह मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी धूमधाम से निकाली जाती है।

तीज़ पर संजय कुमार धीरज की विशेष रिपोर्ट।

सुहागन स्त्रियों के लिए यह पर्व बहुत मायने रखता है, क्योंकि सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्षय में मनाया जाता है। इस दिन मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है। महिलाएं और युवतियां अपने -अपने हाथों पर तरह-तरह की कलाकृतियों में मेहंदी लगाती हैं।

यह महिलाओं के सुहाग की निशानी है। महिलाएं श्रृंगार और नए वस्त्र पहनकर मां पार्वती की पूजा -आराधना करती हैं, और उनका आशीष लेती हैं। शिव पुराण के अनुसार हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था।

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इसीलिए सुहागन स्त्रियों के लिए इस व्रत की बड़ी महिमा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। कड़ी तपस्या और 108 वें जन्म के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था.

इसीलिए हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन और व्रत करने से विवाहित स्त्री सौभाग्यवती रहती हैं, और घर परिवार में सुख समृद्धि आती है। इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। अगले दिन सुबह पूजा के बाद जल पीकर व्रत खोलने का विधान है।

वैसे तो यह त्यौहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है ,लेकिन उत्तर भारत में इसकी रौनक अलग ही होती है। इसी क्रम में आज साहिबगंज जिले में भी  महिलाओं ने मंदिर जाकर माता पार्वती की पूजा अर्चना की, हालांकि कोविड-19 संक्रमण को लेकर शहर के अधिकांश मंदिर बंद रहने से महिलाओं को थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा।

लॉक डाउन की वजह से तीज पर्व पर शहर के मंदिरों में होने वाले सामूहिक आयोजन  इस बार कहीं नजर नहीं आया । अलबत्ता पड़ोस की महिलाएं एक जगह एकत्रित होकर पूजा - आराधना करती दिखी।

अधिकतर महिलाओं ने अपने-अपने घर पर ही इस व्रत को संपन्न किया। कोविड-19 संक्रमण के मद्देनजर महिलाओं में ज्यादा उत्साह तो नजर नहीं आया, पर उनके हौसलों में कोई कमी नहीं देखी गई।

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