अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर साहिबगंज से विशेष, देखिए इन महिलाओ के विचार
International Women's Day : राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपना लोहा मनवाने में कामयाब हैं महिलाएं हमारे देश में महिलाओं की स्थिति सदैव एक समान नहीं रही है. महिलाओं की स्थिति में युग के अनुरूप परिवर्तन होते आए हैं.
उनकी स्थिति में वैदिक युग से लेकर आधुनिक युग तक अनेक उतार - चढ़ाव आते रहे हैं, तथा उनके अधिकारों में तदनरूप बदलाव भी होते रहे हैं. लेकिन अगर वर्तमान परिदृश्य की बात की जाए तो भारत की महिलाएं, बेटियां, राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपना लोहा मनवाने में कामयाब रही हैं.
मगर इतना कुछ होने के बाद भी महिलाएं उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाई हैं, जहां वह बराबरी का दर्जा प्राप्त कर सकें. हालांकि इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. हर क्षेत्र में महिलाओं ने विश्व पटल पर आकाश की बुलंदियों को छुआ है.
अपनी क्षमता, हुनर और काबिलियत का परिचय दिया है, और अपना परचम भी लहराया है। अपने कर्तव्य और अधिकार के प्रति उनमें जागरूकता भी बढ़ी है. वह दिन दूर नहीं जब महिलाएं भी पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर समाज में अपना स्थान पक्का कर सकेंगी.
आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इसी संदर्भ में चंद महिलाओं से की गई बातचीत के कुछ अंश: आइए जानते हैं साहिबगंज जिले की महिलाएं इस बारे में क्या सोचती हैं?
मारवाड़ी महिला संघ की अध्यक्ष श्रीमती सुनीता चिरानिया कहती हैं...
अपमान मत कर नारियों का, इसके बल पर जग चलता है.
पुरुष जन्म लेकर भी तो, इन्हीं के गोद में पलता है.
भारतीय संस्कृति में महिलाओं को बहुत सम्मान दिया गया है. कहा जाता है कि जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं. नारी केवल एक घर की ही नहीं, अपितु देश की शान होती है.अगर आप एक नारी को शिक्षित करते हैं तो, इसका मतलब आपने एक समाज को शिक्षित कर दिया. आज महिलाएं अपने अधिकारों का इस्तेमाल करना जानती हैं. वह शिक्षित और जागरूक होने के साथ-साथ स्वावलंबन की ओर बढ़ रही हैं.
आज अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर मैं सभी माता- पिता और भाई-बहनों से निवेदन करती हूं कि लड़कियों के पर न कुचलें. उन्हें उनके सपने पूरे करने दें. साथ ही उचित मार्गदर्शन के साथ उन्हें उनकी जिंदगी जीने दें. महिलाओं की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने का दिन है अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस.
भाजपा महिला मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती रेणुका मुर्मू कहती हैं...
की अत्याचार के खिलाफ महिलाएं आगे नहीं आतीं हैं. महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचार के खिलाफ जबतक वे स्वयं आगे नहीं आएंगी, तब तक उन्हें न्याय के लिए दूसरों पर ही आश्रित रहना पड़ेगा. ऐसे में अत्याचारों पर जल्द लगाम लगाने की बात केवल चर्चाओं तक ही सीमित रहेगी.
आज किसी भी राज्य में महिलाएं सुरक्षित नही हैं. आए दिन छेड़छाड़ और बलात्कार जैसे घिनौने अपराध हो रहे हैं. ऐसे लोगों की गलती बर्दाश्त नहीं करनी चाहिए, बल्कि उनका विरोध और मुकाबला करना चाहिए. अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं.
एनएसएस स्वयं सेविका अनामिका कुमारी कहती हैं...
की मुझे गर्व है कि मैंने एक लड़की के रूप में जन्म लिया है. नारी, ममता और त्याग की मूरत है. मेरे परिवार ने मुझे हर गलरी का विरोध करना सिखाया है. जहां भी महिला के साथ अन्याय हो रहा है, वहां हमें आवाज उठानी होगी.
मैं हर गलत का विरोध करती हूं, आप भी कीजिए. हमें अधिकार मांगने की जरूरत नहीं, बराबरी हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई.
जिला सदस्य साहिबगंज सह बरहेट झामुमो वरिष्ठ नेत्री मोनिका किस्कू कहती हैं...
कि महिलाओं पर अत्याचार तभी रूकेंगे, जब हमारी सोच बदलेगी. आज हम महिलाओं को मजबुत होना होगा. हमने हमेशा लगातार महिलाओं को न्याय दिलाने की कोशिश की है. बहुत जल्द एक नया आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं.
"मैं हुँ नारी रक्षक" इसमें हम सभी युवा पीढ़ी की लड़कियों को आत्मरक्षा के लिए तैयार करेंगे. उन्हें सिर्फ शपथ ही नहीं दिलाएंगे, बल्कि उनके द्वारा किए जा रहे अच्छे कार्यों और बर्ताव को समाज के सामने लाएंगे और सभी को जागरुक करेंगे. महिलाओं का मुकाम क्या है ? यह सभी को बतायेंगे.
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