ऑनलाइन क्लास कभी क्लासरूम की जगह नहीं ले सकता : वैज्ञानिक आनंद
कोरोना संकट के मद्देनजर छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई की चुनौतियों के विषय पर ऑनलाइन परिचर्चा सह जनसंवाद का आयोजन किया गया। परिचर्चा में वक्ताओं ने कोरोना संकट से उत्पन्न स्थिति में बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई से संबंधित विभिन्न पहलुओं व समस्याओं पर चर्चा की गई।
साथ ही उनके साकारात्मक एवं नाकारात्मक दोनों पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। परिचर्चा के दौरान विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए कई बहुमूल्य सुझाव भी प्राप्त हुए। परिचर्चा में स्कूल एवं महाविद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाओं,
शिक्षाविदों के अलावा छात्र - छात्राओं ने भी अपने संबंधित अनुभव एवं भावना को साझा किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता झारखंड के साइंस फॉर सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. अली खान ने की, जबकि कार्यक्रम का संचालन साइंस फॉर सोसाइटी के महासचिव सह वैज्ञानिक आनंद ने किया।
परिचर्चा को संबोधित करते हुए वैज्ञानिक आनंद ने कहा कि ऑनलाइन क्लास कभी क्लासरूम का स्थान नहीं ले सकता है और ना ही स्मार्ट फोन कभी शिक्षक का स्थान नहीं ले सकता है।
साहिबगंज महाविद्यालय एनएसएस वॉलंटियर कनक झा ने स्वरचित कविता " तुम मत घबरा हौसला रख " के माध्यम से कहा कि शिक्षक अपना दायित्व बखूबी निभा रहे हैं परंतु छात्र - छात्राओं को भी अपने पठन - पाठन पर ध्यान देना चाहिए।
साथ ही कहा कि आज के समय में विद्यार्थियों के लिए अच्छा स्मार्ट मोबाइल फोन एक समस्या है। जो छात्र सामाजिक व आर्थिक रूप से कमजोर हैं उन्हें ऑनलाइन पढ़ने में परेशानी होती है। जबकि जिनके पास अच्छा मोबाइल है,
वे नेटवर्क की समस्या एवं टेक्नो फ्रेंडली जानकारी के अभाव में इससे जुड़ नहीं पाते। वहीं विनय टुडू ने गरीब छात्रों को नि:शुल्क समार्टफोन सरकार और संस्थान से देने की मांग की। साथ ही कमजोर नेटवर्क के सुधार की भी मांग की, ताकि विद्यार्थी अपनी पढ़ाई सुचारू रूप से कर पाएं।
परिचर्चा में अंजली कुमारी व कनक लता ने भी अपने विचारों को रखा। महाविद्यालय के डॉक्टर रणजीत सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों की समस्या दूर करने हेतु ऐसी परिचर्चा आगे भी जारी रहेगी।
इस परिचर्चा में डॉ. रणजीत कुमार सिंह, बोकारो से अरुण कुमार व सुनीता पांचाल, विजय कुमार, हरियाणा से लेखक विज्ञान संघ के रागिनी चौधरी एवं विकास कुमार सहित विभिन्न महाविद्यालययों के विद्यार्थी व शिक्षक उपस्थित रहे।
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