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सिविल जज और रेलवे दंडाधिकारी ने घायल को अस्पताल पहुंचाया, बचाई जान


Sahibganj News : साहिबगंज जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव सह वरीय सिविल जज मनोरंजन कुमार और रेलवे न्यायिक दंडाधिकारी तारकेश्वर दास ने मानवता का परिचय देते हुए एक घायल युवक को समय रहते अस्पताल पहुंचाया, जिससे युवक की जान बचाई जा सकी।

सिविल जज और रेलवे दंडाधिकारी ने घायल को अस्पताल पहुंचाया, बचाई जान

दरअसल उन दोनों ने शुक्रवार की देर शाम उपायुक्त कार्यालय के निकट परिसदन वाली सड़क पर गंभीर रूप से मोटरसाइकिल से हुए दुर्घटनाग्रस्त एक व्यक्ति (सूरज कुमार ) को देखा और ई - रिक्शा से सदर अस्पताल पहुंचा कर इलाज करवाया।

घटना शुक्रवार की शाम करीब 8  बजे की है, जब शाम की सैर पर निकले जिला विधिक सेवा प्राधिकार साहिबगंज के सचिव सह वरीय सिविल जज मनोरंजन कुमार और रेलवे न्यायिक दंडाधिकारी तारकेश्वर दास ने देखा की गंभीर रूप से घायल खून से लथपथ एक व्यक्ति सड़क की ओर बने गड्ढे पर कराह रहा था।

वहाँ से  गुजर रहे वाहनों और उपस्थित व्यक्तियों में किसी ने भी संवेदना नहीं दिखाई और प्रशासन के आने के इंतजार में खड़े थे। वहीं पर एक ई - रिक्शावाला लकड़ी लोड खड़ा था, उसकी मदद से उसी ई- रिक्शा पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव

सह वरीय सिविल जज मनोरंजन कुमार और रेलवे न्यायिक दंडाधिकारी तारकेश्वर दास ने घायल को गड्ढे से निकाल कर खुद उस पर बैठ कर गंभीर रूप से घायल खून से लथपथ व्यक्ति (सूरज कुमार ) को स्थानीय सदर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया


और इसकी सूचना पुलिस अधीक्षक व सिविल सर्जन को मोबाइल पर दिया। दोनों न्यायिक पदाधिकारीयों के कपड़े घायल के खून से लाल हो गए थे। जिला विधिक सेवा प्राधिकार साहिबगंज के सचिव सह वरीय सिविल जज मनोरंजन कुमार ने बताया कि

रोज होने वाले सड़क हादसे में शुरू के 1 घंटे (गोल्डन आवर) के अंदर 50 परसेंट घायलों की मौत इसलिए हो जाती है क्योंकि उनको तुरंत नजदीक के अस्पताल पहुंचाने वाला कोई नहीं होता। लोग इसलिए घायल को अस्पताल नहीं पहुंचाते ताकि पुलिस उनसे कोई पूछताछ न करे।

लोगों को लगता है कि अगर हादसे में घायल की मौत हो गई तो वह कानूनी पचड़े में फंस जाएगा। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि ऐसे मामलों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए गाइडलाइंस भी जारी किए हैं, जिसके अनुसार


घायल को अस्पताल पहुंचाने वाले को पुलिस मजबूर नहीं कर सकती कि अपना नाम व पता लिखवाएं, अगर हादसे में घायल की मौत हो जाती है तो अस्पताल पहुंचाने वाले को पुलिस परेशान नहीं करेगी, हादसे में घायल की सूचना देने वाले को भी पुलिस परेशान नहीं कर सकती,


लेकिन कोर्ट में गवाही के लिए नहीं आना चाहता तो वीडियोकॉन्फ्रेसिंग के जरिए गवाही हो सकती है। पुलिस उसको ट्रायल के दौरान तंग नहीं करेगी, अगर घायल या उसे अस्पताल पहुंचाने वाले के साथ कोई डॉक्टर दुर्व्यवहार करता है तो उनके खिलाफ शिकायत मिलने पर एक्शन लिया जाएगा।

जिला विधिक सेवा प्राधिकारके सचिव सह वरीय सिविल जज मनोरंजन कुमार ने बताया प्राधिकार द्वारा हमेशा लोगों को जागरूक किया जा रहा है। विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष सह प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश वंशीधर तिवारी के आदेश से आगे भी पुलिस अधिकारियों के साथ ही आम जनता को भी और जागरूक किया जायेगा।


जिसका मकसद पुलिस कर्मियों व अन्य को समझाना होगा कि जो भी हादसे में घायल को अस्पताल लेकर आए, उसके साथ कैसा व्यवहार करें ?  बिना बजह उनको परेशान न करें, इसके अलावा जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जायगा, ताकि हादसे में घायल की जान तुरंत अस्पताल पहुंचाकर बचाई जा सके।

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