जम्मू-कश्मीर में मिला लीथियम का भंडार बदल देगा भारत की तस्वीर व तकदीर
नई दिल्ली : कश्मीर में मिले लिथियम भंडार से भारत की तकदीर व तस्वीर बदल सकती है
लिथियम एक तरह का खनिज है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक गाड़ियों, मोबाइल फोन और लैपटाप में लगने वाली बैटरी में किया जाता है। माना जाता है कि डीजल और पेट्रोल गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण कम करने की दिशा में ये काफी महत्त्वपूर्ण साबित होगा। जम्मू-कश्मीर में लिथियम के 59 लाख टन के विशाल भंडार का पता चला है।
आत्मनिर्भर बनेगा भारत
लीथियम के लिए भारत अब तक आस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना जैसे देशों पर निर्भर था। अब इस मामले में भारत आत्मनिर्भर हो जाएगा। देश में मिले लीथियम भंडार को सबसे अच्छी गुणवत्ता का बताया जा रहा है। भारत सरकार के मुताबिक, जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया को जम्मू-कश्मीर में लीथियम के 59 लाख टन के विशाल भंडार का पता चला है। यह भंडार जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में मिला है। लीथियम का इस्तेमाल बार-बार रीचार्ज की जा सकने वाली बैटरी में होता है।
इन बैटरी का इस्तेमाल स्मार्टफोन और लैपटाप से लेकर इलेक्ट्रिक कारों में किया जाता है। माना जाता है कि डीजल और पेट्रोल गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण कम करने की दिशा में यह बेहद महत्त्वपूर्ण है। जानकारों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में लीथियम का विशाल भंडार मिलने से ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार कार्बन उत्सर्जन को कम करने की भारत की कोशिशों को बड़ा बल मिलेगा।
भारत के खनिज मंत्रालय के मुताबिक, जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया ने लीथियम का भंडार रियासी जिले में सलाल हेमना ब्लाक में ढूंढा है। यह इलाका चिनाब नदी पर बने 690 मेगावाट की क्षमता वाले सलाल पावर स्टेशन से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर है। जम्मू-कश्मीर के खनन विभाग के सचिव अमित शर्मा के मुताबिक, लीथियम के भंडार मिलने से इस क्षेत्र में वैश्विक मानचित्र पर हमारी उपस्थिति दर्ज हो गई है।
अब पूरे विश्व में यह संदेश चला गया है कि देश इस क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बन रहा है और जल्दी ही उसकी गिनती भी लीथियम निर्यात करने वाले बोलिविया, अर्जेंटीना, चिली, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और चीन जैसे देशों के साथ की जाने लगेगी। जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के वैज्ञानिकों ने पिछले साल इस इलाके में नमूने जुटाने का काम शुरू किया था। अभी नमूनों का दो और स्तरों पर परीक्षण बाकी है। उसके बाद खनन के लिए सरकार ठेके जारी करेगी।
इससे पहले साल 2021 में इसी तरह का एक लीथियम भंडार कर्नाटक में मिला था। हालांकि मात्रा के लिहाज से ये काफी छोटा है। खनिज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज के मुताबिक, सरकार ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए खोज अभियान तेज किया है। सामान्य श्रेणी में लिथियम का ग्रेड 220 पार्ट्स पर मिलियन (पीपीएम) का होता है, जबकि जम्मू-कश्मीर में मिले भंडार का लीथियम 550 पीपीएम से अधिक ग्रेड का है।
सलाल कोटली गांव में छह हेक्टेयर (करीब 120 कनाल) जमीन में सबसे हल्के खनिज लीथियम यानी सफेद सोने का 59 लाख टन भंडार पाया गया है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) के विशेषज्ञ इस गांव में पिछले पांच साल से सर्वे कर रहे थे। लीथियम खनिज भंडार का घनत्व भी बहुत अधिक है।यानी जिस क्षेत्र में यह खनिज पाया गया है, उसमें लीथियम को ज्यादा मात्रा में निकाला जा सकेगा।
लीथियम का मुख्य भंडार सलाल कोटली के दम्मन कोट में होने का पता चला है। रियासी से अरनास की तरफ जा रही मुख्य सड़क पर स्थित सलाल कोटली के 40 फीसद ऊपरी और 60 फीसद निचले हिस्से में लीथियम का भंडार है। जीएसआई की टीम ने सर्वे किए गए स्थान पर निशानदेही कर दी है।
क्या होता है लीथियम
लीथियम नाम ग्रीक शब्द ‘लिथोस’ से आया है। इसका मतलब ‘पत्थर’ होता है। यह अलौह धातु है। इसका इस्तेमाल मोबाइल - लैपटाप, गाड़ियों समेत सभी तरह की चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है। ‘ मूड स्विंग’ और ‘बाइपोलर डिसआर्डर’ जैसी बीमारियों के इलाज में भी यह मददगार है। अभी तक भारत लीथियम के लिए पूरी तरह दूसरे देशों पर निर्भर है। अभी इसके 50 फीसद भंडार तीन दक्षिण अमेरिकी देशों- अर्जेंटीना, बोलीविया और चिली में हैं। हालांकि, दुनिया का आधा उत्पादन आस्ट्रेलिया में होता है।
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