नेहरू युवा केंद्र साहिबगंज द्वारा गांव चानन में मिलेट मेले का हुआ आयोजन।


Sahibganjnews :नेहरू युवा केंद्र साहिबगंज के तत्वाधान एवं जिला युवा अधिकारी श्री शुभम चंद्रन के निर्देशानुसार साहिबगंज सदर प्रखंड के चानन गांव  में मिलेट मेला का आयोजन किया गया।

नेहरू युवा केंद्र साहिबगंज द्वारा गांव चानन में मिलेट मेले का हुआ आयोजन।


मेले का शुभारंभ स्वामी विवेकानंद के तस्वीर पर दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि पूर्व वार्ड पार्षद श्रीमती दुलारी देवी, समाज सेविका चांदनी देवी, स्वामी विवेकानंद युवा क्लब के संयोजक श्री धर्मराज मंडल, समाज सेवक लक्ष्मण मंडल , राज्य शिक्षण संस्थान के निर्देशक श्री रविकांत आती, विवेकानंद यूथ क्लब के अध्यक्ष उत्तम कुमार, उपस्थित रहे।

युवा मंडल से उदय कुमार और शंभू मंडल, अमित मंडल के द्वारा लॉक गीत के माध्यम से लोगो संदेश दिया गया। मेले में महिला समूह द्वारा बाजरे के आटे की रोटी, बाजरे की खिचड़ी, बाजरे का मीठा सत्तू आदि व्यंजन बना कर प्रदशनी लगाई गई एवं साथ ही मेले में रागी, ज्वार, बाजरा, मक्का, मूंग, जौ, सोयाबीन, चना आदि मोटे अनाजों की प्रदर्शनी लगाई गई।

राष्ट्रीय युवा स्वयंसेवक चंदन कुमार द्वारा बताया गया कि मिशन लाइफ के अन्तर्गत मिलेट मेला आयोजित किया गया। जिसका उद्देश्य मोटे अनाज के प्रयोग के प्रति ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता फैलाना है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 घोषित किया गया। मिलेट मेला के जरिए बाजरा से बने भोजन को बढ़ावा दिया जा रहा है। मैदा से बने भोजन लोगों की पाचन शक्ति को कमजोर करते हैं। इससे बहुत नुकसान होता है। इसीलिए मक्का, बाजरा, जौ से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए।

स्वामी विवेकानंद यूथ क्लब के संयोजक धर्मराज मंडल द्वारा बताया गया कि बाजरा के उत्पादन और खपत को प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार ने अप्रैल, 2018 में बाजरा को पोषक-अनाज के रूप में अधिसूचित किया, जिसमें पुनर्वा बाजरा,ज्वार, रागी,सांवा या सनवा बाजरा, कोदो बाजरा, छोटी कंगनी/हरी कंगनी बाजरा, कंगनी बाजरा, अनाज को शामिल किया गया। मोटा अनाज कम पानी और कम खर्चे में उगता मोटे अनाज की फसल को उगाने के फायदा यह है कि इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। यह पानी की कमी होने पर खराब भी नहीं होती है और ज्यादा बारिश होने पर भी इसे ज्यादा नुकसान नहीं होता है। मोटा अनाज की फसल खराब होने की स्थिति में भी पशुओं के चारे के काम आ सकती हैं। बाजरा और ज्वार जैसी फसलें बहुत कम मेहनत में तैयार हो जाती है।

नेहरू युवा केंद्र के राष्ट्रीय स्वयंसेवक कौसर अंसारी द्वारा बताया गया की साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के तौर पर मनाया जा रहा है। मोटे अनाज के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाई जा रही है, ताकि इसे अपनी डाइट में जोड़कर सेहत को बेहतर बनाया जा सके। गेंहू-चावल के मुकाबले मोटा अनाज उगाना और खाना दोनों ही ज्यादा सुविधाजनक है। इसके साथ ही मोटे अनाज वाली फसलों में रसायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का प्रयोग करने की जरूत भी नहीं होती है। 

इसी के साथ ही इन फसलों के अवशेष पशुओं के चारे के काम आते हैं इसलिए इनको धान की पराली की तरह जलाना नहीं पड़ता है। पूर्व वार्ड पार्षद श्रीमती दुलारी देवी द्वारा बताया गया की ग्रामीणों को दैनिक जीवन में मोटे अनाज को शामिल करना चाहिए,ताकि उन्हें कुपोषण का सामना न करना पड़े। कार्यक्रम का आभार युवा मंडल अध्यक्ष उत्तम कुमार द्वारा किया गया।

बनी युवा मंडल हरिओम शर्मा,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कमला , बसंती भुरिया, सूरज,निशा परमार और युवा मंडल सदस्य लोकेंद्र , विनय अजय , राहुल मंडल, दिलीप साहू, दामोदर मंडल, कामदेव मंडल आदि के सहयोग से कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया।

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