सशक्त समाज की परिकल्पना सशक्त नारी के बगैर संभव नहीं : प्रो सुबोध झा, सम्पूर्ण नारी जाति को समर्पित प्रोफेसर सुबोध झा की यह रचना
सशक्त नारी..!
तू ही सरस्वती,तू ही पार्वती,
नारी तू कल्याणी है।
तू ही लक्ष्मी,तू ही भगवती,
तू ही तो बलिदानी है।।
अमर प्रेम की जीती-जागती,
एक सुन्दर प्रेम कहानी है।
माँ रूपी तू है ममतामयी,
बहन रूपी तू सयानी है।।
बेटी तू घर की लक्ष्मी है,
तू ही तो दादी–नानी है।
सबकी बोलती बंद कर दे तू ,
बस वो शक्ति की रानी है।।
आधी आबादी की मालकिन तू,
फिर भी नहीं अभिमानी है;
खुब लड़ी है इस समाज से,
तेरी यह बात पुरानी है।।
घर–घर गाते हैं तेरी गाथा,
सबकी रही जुबानी है।
अनन्त त्याग की देवी है तू,
तेरी अनन्त कहानी है।।
शाश्वत है तू,अमृत है तू,
एक कोमल हृदय की प्राणी है।
धरा पर प्रवाहित चरणामृत है तू,
जो न माने बड़ा अज्ञानी है।।
प्रो. सुबोध कुमार झा झारखंड।
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