चुनाव की प्रक्रिया शुरू होते ही बढ़ी कुर्ता-पाजामा की बिक्री
साहिबगंज : लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होते ही जिले में कुर्ता-पाजामा के कारोबार में बढ़ोतरी हो गई है। यही कारण है कि राजनेताओं का पारंपरिक ड्रेस कहे जाने वाले यानी पजामा-कुर्ता के प्रति युवाओं में दीवानगी देखी जा रही है।
जो युवा आम दिनों में ब्रांडेड और डिजाइनर की जींस–पैंट और फिल्मी स्टाइल की टी-शर्ट और शर्ट में दिखते थे, वही आज लिनेन व कॉटन कुर्ता और अलीगढ़ी पजामा में दिखने लगे हैं। बाजार में पहले जिस कुर्ता-पाजामा की बिक्री नहीं के बराबर होती थी, आज उसकी बिक्री 60 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
सिल्क व कॉटन कपड़ा कारोबारी ने बताया कि एक साथ चुनाव, गर्मी व ईद आने से कुर्ता, पाजामा, गमछा व बंडी की बिक्री अचानक बढ़ गई है। अचानक गर्मी बढ़ने के कारण गमछे की डिमांड भी बढ़ी है। चुनाव को लेकर युवा ही नहीं, बल्कि अन्य उम्र के लोग भी नेतागिरी को लेकर कॉटन का प्लेन कुर्ता व अलीगढ़ी पजामा पसंद कर रहे हैं।
ज्यों-ज्यों चुनाव नजदीक आ रहा है, रेडीमेड कुर्ता–पाजामा की बिक्री बढ़ रही है। बता दें की सिलाई का बढ़ा हुआ दर और कपड़ा खरीदने की झंझट से मुक्त रहने के लिए रेडिमेड कपड़ों की बिक्री ज्यादा है। हां, कुर्ता–पाजामा में कुछ लोग मनपसंद फिटिंग के लिए परेशान नजर आते हैं।
परंतु आधा घंटा में ही दर्जी उनका कुर्ता–पाजामा फिट कर देता है। कुर्ता-पजामा के सिलाई में 350 रुपये तक का खर्च आता है। किसी कुशल दर्जी को पहले बमुश्किल जहां एक से दो सेट कुर्ता-पाजामा बनाना पड़ता था, अभी चुनाव के समय पांच से आठ सेट कुर्ता-पाजामा बनाना पड़ रहा है। बता दें की साहिबगंज जिले के राजमहल लोकसभा के लिए एक जून को वोट डाले जाएंगे।
By: संजय कुमार धीरज
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