प्रशांत के प्रयास से बची मरीज की जान, इसीलिए कहा गया है रक्तदान – महादान


साहिबगंज : कहते हैं 'रक्तदान जीवनदान है'। अपना खून देकर किसी की जिंदगी बचाने से बड़ा पुण्य का काम कोई दूसरा नहीं। इंसान ने कई तरह के कृत्रिम अंग तो बना लिए, लेकिन खून को लैब में आज तक नहीं बनाया जा सका।

प्रशांत के प्रयास से बची मरीज की जान, इसीलिए कहा गया है रक्तदान – महादान

इसकी जरूरत के लिए इंसान आज भी रक्तदान पर ही निर्भर है। रक्तदान के इसी महत्व को समझते हुए उमा अमृता फाउंडेशन के संस्थापक प्रशांत शेखर 'रियल लाइफ हीरो' हैं। प्रशांत ने रक्तदान कर अनजान लोगों की जान बचाने को ही अपने जीने का मकसद बना लिया है।

प्रशांत शेखर ने अब तक 72 बार रक्तदान करके और अपने दोस्तों, परिचितों एवम रिश्तेदारों की मदद से रक्तदान कराकर हजारों गंभीर रूप से घायल मरीजों को जीवन दान दिया है। कहीं से भी रक्तदान का संदेश मिलते ही प्रशांत शेखर मदद के लिए सक्रिय हो जाते हैं।

ताजा मामला सदर अस्पताल में भर्ती महादेवगंज निवासी गंभीर बीमारी से ग्रसित राजेश सहनी का है। जिन्हें दो यूनिट रक्त की सख्त आवश्यकता थी। राजेश के परिवार में रक्तदान करने वाला कोई सदस्य नहीं है। इस बात की जानकारी प्रेम कुमार (पत्रकार) को मिली, उन्होंने तत्काल उमा अमृता फाउंडेशन के संस्थापक प्रशांत शेखर से मदद मांगी।

जैसे ही प्रशांत शेखर को ये संदेश मिला, उन्होंने अपने दोस्त साहिबगंज के दिनेश सिंह और महादेवगंज के अजय मंडल से प्रार्थना कर दो यूनिट रक्तदान कराया, जिससे मरीज की जान बचाई जा सकी। इस कार्य के लिए मरीज राजेश सहनी ने प्रशांत शेखर, दिनेश सिंह और पत्रकार प्रेम कुमार का आभार प्रकट किया।

इस संबंध में उमा अमृता फाउंडेशन के संस्थापक प्रशांत शेखर ने बताया कि मैंने पहली बार कोलकाता की एक बुजुर्ग माताजी को रक्तदान किया था और उसके बाद लगातार आज तक रक्तदान करता आ रहा हूं। शेखर ने आजतक कुल 72 बार रक्तदान किया है।

इस कारण शेखर का नाम सबसे युवा रक्तदाता के रूप में "इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स" में दर्ज किया गया है। इसके अतिरिक्त शेखर को विभिन्न राज्य सरकारों की और से 28 पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। अपने अध्ययन के दौरान वे पटना, कोलकाता, साहिबगंज, भागलपुर, दिल्ली जहां भी रहे, वहां रक्तदान करते रहे और लोगों को रक्तदान हेतु प्रेरित करते रहे। 
उन्होंने बताया कि खुद और अन्य रक्तदाताओं के माध्यम से अभी तक लगभग 5000 से ज्यादा मरीजों को रक्त उपलब्ध करवा चुका हूं। उनके जीवन का मकसद सिर्फ एक ही है, और वो है, साहिबगंज का नाम रक्तदान के क्षेत्र में पूरे भारत में जाना जाए।

उन्होंने बताया कि साहिबगंज में 2017 से लगातार रक्तदान करता आ रहा हूं और इसमें सफलता प्राप्त हुई है। इसके लिए साहिबगंज के युवाओं की भूमिका अहम रही है। मैं तो केवल युवाओं को रक्तदान के लिए प्रोत्साहित करता हूं।

By: संजय कुमार धीरज

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