Bangladesh में शुरू हुआ Starlink Satellite Internet, अब India की बारी


 
बंगाल देश में शुरू हुआ स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट, अब भारत की बारी, Starlink satellite internet started in Bengal, now it is India's turn

दुनिया में इंटरनेट की पहुँच को नई ऊँचाई पर ले जाने वाला एलन मस्क का उपक्रम Starlink अब एशिया में तेजी से विस्तार कर रहा है। हाल ही में स्टारलिंक ने बांग्लादेश (जिसे आम बोलचाल में बंगाल देश भी कहा जाता है) में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा की शुरुआत की है। यह कदम डिजिटल कनेक्टिविटी की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर है, खासकर उन इलाकों के लिए जहाँ अब तक स्थलीय इंटरनेट सेवाएँ नहीं पहुँच सकी हैं।

बांग्लादेश में स्टारलिंक की शुरुआत

बांग्लादेश सरकार ने ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में डिजिटल सेवाओं की पहुँच बढ़ाने के उद्देश्य से स्टारलिंक को अनुमति दी है। इस सेवा के जरिए देश के उन हिस्सों में भी तेज़ इंटरनेट पहुँच सकेगा जहाँ अब तक केवल धीमी और अस्थिर कनेक्टिविटी थी। यह किसानों, छात्रों, स्वास्थ्य सेवाओं और छोटे व्यापारों के लिए वरदान साबित हो सकता है।

स्टारलिंक की विशेषता यह है कि यह पारंपरिक टॉवर या केबल नेटवर्क पर निर्भर नहीं करता। इसके लिए छोटे सैटेलाइट डिश और टर्मिनल की जरूरत होती है, जो सीधे लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में मौजूद स्टारलिंक के उपग्रहों से जुड़ते हैं।


अब भारत की बारी?

भारत जैसे विशाल और विविध देश में, जहाँ पहाड़ी, ग्रामीण और सीमावर्ती क्षेत्रों में आज भी इंटरनेट पहुँच एक चुनौती है, वहां स्टारलिंक जैसी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा क्रांति ला सकती है। एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स पहले ही भारत में स्टारलिंक सेवा शुरू करने की योजना बना चुकी है, लेकिन सरकारी मंजूरी और स्पेक्ट्रम नीतियों के चलते यह योजना अभी तक अधर में लटकी है।

2021 में स्टारलिंक ने भारत में प्री-ऑर्डर लेना शुरू कर दिया था, लेकिन टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) और दूरसंचार विभाग (DoT) से जरूरी मंजूरी न मिलने के कारण सेवा लॉन्च को रोक दिया गया था। अब जब बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देश में यह सेवा चालू हो चुकी है, भारत में इसकी माँग और दबाव दोनों बढ़ सकते हैं।


भारत को क्या करना चाहिए?

  1. नीतिगत स्पष्टता: सरकार को स्पष्ट और अनुकूल नीतियाँ बनानी होंगी जिससे स्टारलिंक जैसे निजी सैटेलाइट इंटरनेट प्रदाताओं को भारत में कार्य करने का अवसर मिल सके।

  2. ग्रामीण डिजिटल सशक्तिकरण: स्टारलिंक को ग्रामीण भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य और ई-गवर्नेंस के लिए प्रयोग करने पर विचार करना चाहिए।

  3. स्थानीय भागीदारी: भारत सरकार चाहे तो स्टारलिंक जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी कर भारत में मैन्युफैक्चरिंग और सेवाओं का विकास भी कर सकती है।


निष्कर्ष

बांग्लादेश में स्टारलिंक की सफल शुरुआत यह संकेत देती है कि सैटेलाइट इंटरनेट का भविष्य उज्ज्वल है। भारत, जो डिजिटल इंडिया और कनेक्टेड भारत का सपना देख रहा है, उसके लिए यह एक सुनहरा अवसर हो सकता है। अब ज़रूरत है ठोस नीति, पारदर्शिता और दूरदर्शिता की — ताकि अगली डिजिटल क्रांति का नेतृत्व भारत भी कर सके।

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