झारखंड में राशन कार्ड से हट सकते हैं लाखों नाम, 74.6 लाख लाभार्थियों का e-KYC अभी भी लंबित
झारखंड में राशन कार्ड विलोपन (डिलीशन) का खतरा गहराता जा रहा है। राज्य में 74.6 लाख लोगों का ई-केवाईसी (e-KYC) अब तक पूरा नहीं हुआ है। इससे लाखों गरीब, वंचित, दिव्यांग और जरूरतमंद लोग राशन के अपने हक से वंचित हो सकते हैं। इस मुद्दे पर भोजन का अधिकार अभियान ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर राशन कार्ड रद्द करने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।
जन वितरण प्रणाली के आहार पोर्टल के अनुसार, 14 जुलाई 2025 तक राज्य में 8.24 लाख राशन कार्ड ऐसे हैं जिनमें एक भी सदस्य का ई-केवाईसी सत्यापन नहीं हुआ है।
🔍 तकनीकी बाधाओं से बिगड़ी स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, यह संकट मुख्यतः तकनीकी खामियों के कारण पैदा हुआ है। जैसे:
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वृद्ध और दिव्यांग लाभार्थियों की सत्यापन में असमर्थता
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ई-पॉस मशीनों की खराबी
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प्रवासी मजदूरों की अनुपस्थिति
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सुदूर क्षेत्रों में नेटवर्क और संसाधनों की कमी
इन समस्याओं के चलते लाखों गरीबों को भूख और कुपोषण का सामना करना पड़ सकता है। अभियान ने चेताया है कि यदि राशन कार्ड डिलीशन की प्रक्रिया पर नियंत्रण नहीं लगाया गया, तो यह मानवीय संकट का रूप ले सकता है।
🛑 आदिम जनजाति परिवारों को सुरक्षित रखने की मांग
भोजन अधिकार अभियान ने आदिम जनजातियों को विशेष श्रेणी में रखते हुए बिना सत्यापन के उनके राशन कार्ड को सुरक्षित रखने की मांग की है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा 30 जून 2025 तक ई-केवाईसी अनिवार्य किया गया था, लेकिन झारखंड जैसे राज्य में यह प्रक्रिया तकनीकी और व्यवस्थागत चुनौतियों से जूझ रही है।
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