जब जन्मे मुरलिया वाले – खुल गए जेलों के ताले
साहिबगंज न्यूज़ डेस्क: भादो मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि, अर्धरात्रि का समय… कारागार की कोठरी में जन्मे बालक कृष्ण ने आते ही चमत्कार कर दिखाया। देवकी-वासुदेव की हथकड़ियां खुल गईं, कारागार के सातों ताले टूट गए और पहरेदार नींद में सो गए। इसी क्षण से शुरू हुई भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाएं।
आकाशवाणी और कंस का भय
बहन देवकी की शादी के बाद कंस को आकाशवाणी हुई कि उसकी आठवीं संतान ही उसका अंत करेगी। भयभीत कंस ने देवकी और वासुदेव को मथुरा की जेल में डाल दिया। हर संतान के जन्म पर कंस निर्दयता से उसे पत्थर पर पटककर मार डालता।
आठवीं संतान का जन्म
देवकी की आठवीं संतान के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। जन्म लेते ही कारागार के ताले खुल गए और वासुदेव शिशु कृष्ण को टोकरी में रखकर यमुना पार कर गोकुल पहुँचे। वहाँ उन्होंने कृष्ण को यशोदा और नंदलाल को सौंपा तथा उनकी नवजात कन्या को कारागार में ले आए।
कन्या का चमत्कार और कंस का आतंक
सुबह होते ही कंस ने उस कन्या को मारने की कोशिश की, लेकिन वह आकाश में उड़कर मायाशक्ति के रूप में प्रकट हुई। भविष्यवाणी हुई – “हे कंस, तेरा काल जन्म ले चुका है।” यह सुनकर कंस भयभीत हो गया और ब्रज में नवजात शिशुओं का वध करने लगा।
कृष्ण की लीलाएं और कंस वध
कंस ने अनेक राक्षसों को भेजकर कृष्ण को मारने का प्रयास किया, लेकिन सभी को नन्हें कृष्ण ने ही परास्त कर दिया। अंततः बारह वर्ष की आयु में कृष्ण ने मथुरा आकर कंस का वध किया और अपने माता-पिता को कारागार से मुक्त कराया।
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