धर्मेंद्र बॉलीवुड के उन दिग्गज कलाकारों में से एक हैं, जिनके अभिनय ने समय के साथ खुद को लगातार नया रूप दिया। वे एक्शन हीरो के रूप में तो पहचाने जाते ही हैं, लेकिन रोमांस, कॉमेडी, ड्रामा और थ्रिलर—हर जॉनर में उन्होंने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। यही कारण है कि धर्मेंद्र का सिनेमा सफ़र हिंदी फिल्म उद्योग की सबसे यादगार और प्रेरक कहानियों में से एक माना जाता है।
300 से अधिक फिल्मों में बहुमुखी अभिनय
धर्मेंद्र ने अपने लंबे करियर में 300 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। हर दशक में उन्होंने अपने शैली और किरदारों को समाज और सिनेमा के बदलते स्वरूप के साथ ढाला।
उनकी यादगार फिल्मों में शामिल हैं—
शोले (1975), सत्यम शिवम सुंदरम, चुपके-चुपके, मेरा गांव मेरा देश, धरमवीर, सीता और गीता, फूल और पत्थर, बर्निंग ट्रेन, हुकूमत, प्रतिज्ञा और नौकर बीवी का।
एक्शन हीरो और “ही-मैन” की पहचान
धर्मेंद्र को उनकी फिल्म फूल और पत्थर से जबरदस्त लोकप्रियता मिली। इसी फिल्म ने उन्हें हिंदी सिनेमा का “ही-मैन” और प्रमुख एक्शन स्टार स्थापित किया। 1970 के दशक में वे सबसे अधिक कमाई करने वाले अभिनेताओं में शामिल थे।
दर्शकों के दिलों में बसने वाले किरदार
धर्मेंद्र की अभिनय क्षमता उनके विविध किरदारों से झलकती है—
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‘फूल और पत्थर’ का नेकदिल शाका
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‘अनुपमा’ का संवेदनशील, शांत और काव्यात्मक नायक राम
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‘चुपके-चुपके’ का हास्य से भरपूर और हल्का-फुल्का प्रोफेसर
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‘मेरा गांव मेरा देश’ और ‘शोले’ का जिंदादिल, जोशीला एक्शन स्टार
उन्होंने कॉमेडी में सहजता, रोमांस में सौम्यता, और एक्शन में दमदार उपस्थिति के साथ भारतीय दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी।
हिंदी सिनेमा की परंपरा को नई ऊंचाई दी
धर्मेंद्र की फिल्मों में भावुकता, जोश, हास्य और इंसानियत का संतुलित मिश्रण मिलता है। उनका योगदान न सिर्फ व्यावसायिक रूप से सफल रहा, बल्कि हिंदी सिनेमा को एक नई ऊंचाई देने वाला भी रहा।
उनकी अभिनय विरासत आज भी नए कलाकारों के लिए प्रेरणा है और सदैव अमिट रहेगी।
SBG न्यूज़ की ओर से हिंदी सिनेमा के “ही-मैन” धर्मेंद्र को सादर नमन।
रिपोर्ट: संजय कुमार धीरज | साहिबगंज न्यूज डेस्क
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