झारखंड स्थापना दिवस पर जानें ‘बुशलैंड’ झारखंड से जुड़ी रोचक और गौरवशाली बातें
झारखंड स्थापना दिवस के अवसर पर राज्य के 25 वर्ष पूरे होने पर प्रदेश की उपलब्धियों, प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विरासत और विकास यात्रा पर एक बार फिर नजर डालना महत्वपूर्ण है। वर्ष 2000 में बिहार से अलग होकर अस्तित्व में आए झारखंड ने कम उम्र में भी एक सशक्त और विशिष्ट पहचान बनाई है। झारखंड को प्राकृतिक संपदा, खनिज संसाधनों, जनजातीय संस्कृति, जलप्रपातों और परंपराओं के कारण ‘बुशलैंड’ भी कहा जाता है।
राजनीतिक सफर : 25 साल में 7 मुख्यमंत्री, 3 बार राष्ट्रपति शासन
स्वतंत्रता के बाद बिहार का हिस्सा रहे इस क्षेत्र को वर्ष 2000 में अलग राज्य का दर्जा मिला। पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी बने। फिलहाल हेमंत सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री हैं। 25 वर्षों में झारखंड ने राजनीतिक अस्थिरता का भी सामना किया, जिसमें तीन बार राष्ट्रपति शासन भी लगा।
फिल्मी दुनिया में ‘झॉलीवुड’ की पहचान
बॉलीवुड की तर्ज पर झारखंड का फिल्म उद्योग ‘झॉलीवुड’ के नाम से जाना जाता है। नागपुरी फिल्मों के अभिनेता आरके सहित कई कलाकारों ने यहां अपनी पहचान बनाई। प्राकृतिक लोकेशन के कारण झारखंड कई फिल्मों और वेब सीरीज की पसंदीदा शूटिंग लोकेशन रहा है। गैंग्स ऑफ वासेपुर और एमएस धोनी – द अनटोल्ड स्टोरी जैसी फिल्में यहां फिल्माई जा चुकी हैं।
धरती आबा बिरसा मुंडा : स्वतंत्रता संग्राम के महानायक
1895–1900 के बीच अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले बिरसा मुंडा झारखंड की पहचान और गर्व हैं। उनकी जयंती यानी 15 नवंबर को ही झारखंड का गठन हुआ था। आज भारत की संसद में भी उनकी तस्वीर स्थापित है और यह दिन ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
खनिज संपदा से समृद्ध ‘बुशलैंड’ झारखंड
‘सिटी ऑफ फॉल्स’ : झारखंड की राजधानी रांची
रांची को प्राकृतिक जलप्रपातों के कारण ‘सिटी ऑफ फॉल्स’ कहा जाता है। हुंडरू, दशम, जोन्हा, सीता और पंचघाघ सहित साहिबगंज का प्रसिद्ध मोती झरना हर साल लाखों सैलानियों को आकर्षित करता है।
कृषि के क्षेत्र में बढ़ती संभावनाएँ
प्रदेश की लगभग 80% आबादी कृषि पर निर्भर है। पारंपरिक धान के अलावा अब यहां सेब, केसर और काजू की खेती भी सफलता के साथ की जा रही है।
संस्कृति और परंपराएं
झारखंड की सांस्कृतिक पहचान इसे विशेष बनाती है।
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नकाबपोश छऊ नृत्य
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फूलों का त्योहार सरहुल
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मवेशियों का त्योहार सोहराई
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फसल उत्सव मगे परब
ये त्योहार राज्य की जनजातीय विरासत की मूल आत्मा हैं।
शिक्षा में निरंतर विकास
रांची विश्वविद्यालय, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय सहित कई नए विश्वविद्यालयों की स्थापना ने यहां उच्च शिक्षा के मानकों को मजबूत किया है।
CNT एक्ट : जनजातीय जमीन की सुरक्षा की मिसाल
बिरसा मुंडा के संघर्ष के बाद अंग्रेजों को छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट (CNT) लागू करना पड़ा, जो आज भी आदिवासी भूमि की सुरक्षा की गारंटी है।
25 वर्षों की आर्थिक प्रगति
JSCA इंटरनेशनल स्टेडियम और नया एयरपोर्ट जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर विकास झारखंड की प्रगति के उदाहरण हैं।
चुनौतियाँ भी बरकरार
हालांकि शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत संरचना में कई क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता अभी भी महसूस की जा रही है। खासकर पलामू जैसे जिलों में संसाधनों की कमी चुनौती बनी हुई है।

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