नेता व आलाधिकारियों से टूटी आस, खुद बनाली चलने योग्य अपनी राह...
Aug 5, 2020
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नेता व आलाधिकारियों से टूटी आस, खुद बनाली चलने योग्य अपनी राह
गाँव की जनताओं की सुविधाओं के लिए दौड़ रही फाइलें उनकी परिक्रिया की मकड़जाल में कही खो गई हैं। ऐसे में गाँव के भोले-भाले जनता को समझ आने लगा सरकार और उसके तंत्र से कुछ उम्मीद न कि जाए।
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झारखंड में ग्रामीण जनता द्वारा कई जगहों में खुद अपने लिए पुल और सड़क बनाने के लिए मजबूर क्यों है ? आखिर वज़ह क्या है ? ऐसा ही एक नज़ारा प्रखंड क्षेत्र के पश्चिम प्राणपुर के अशराफ टोला में देखने को मिला है जहाँ गांवों के वाशिंदों की सरकार से आस टूट गई तो उन्होंने अपनी राह बनाते हुए नाले पर बांस बल्लियों से पुल बना दिया।
और यही नहीं यहाँ हर साल में बरसात के समय ग्रामीणों ने एक-दूसरे से चन्दा इकट्ठा कर बांस-बल्लियों से पुल निर्माण करते हैं। जो आधे बरसात में ही इधर उधर होके टुटने लगते हैं। जहाँ कुछ दिनों तक सिर्फ पैदल पुल के इस पार उस पार हो पाते हैं।
फ़िर गाँव के ग्रामीणों को इसको पार करने के लिए नाव की जरूरत पड़ती हैं। यही सिलसिला कई दशकों चलते आ रहे हैं। इस संबंध में ग्रामीण मामरूद्दीन शेख, अशरफ़ अली। एनामुल हक, तारिकुल शेख, अलाउद्दीन शेख, इस्लाम शेख, फिरोज अली, खालिद हसन मिलु, राजेश अली, समसुल शेख, मंजूर अली दर्जनों का कहना है कि हम सब वर्षों से पुलिया बनवाने के लिए सांसद, विधायक और ब्लॉक के अधिकारियों के चक्कर काटते रहे,लेकिन किसी ने नहीं सुनीं।
मजबूर होकर ग्रामीणों को इस तरह का एक सिलसिला जारी रखना पड़ा की हर साल बांस बल्लियों से पैदल चलने लायक पुल बनाना ही है। इस पुल से साइकिल सवार पैदल चलकर किसी तरह साइकिल को पार कर लेते हैं।
बाकी अन्य वाहनों की कोई उपाय नहीं है यहाँ से होकर पार करना। अशराफ टोला, सेगबोर टोला, कामार टोला, मूखिया टोला आदि गाँवो के हजारों लोंगो को जोड़ने वाली मुख्य पथ पर इस तरह की हालातों से लोग वर्षों से जूझ रहे हैं।
सूत्र से पता चलता है कि इस जगह में पुल निर्माण के लिए सांसद , विधायक , व अन्य इससे संबंधित अधिकारियों तक इसका जायजा लिया है।बावजूद अब तक पुल निर्माण नहीं हो पाया है।
साथ ही ग्रामीणों ने यह बताया कि क़रीब दो साल पहले इस जगह में पुल निर्माण संबंधित कुछ यांत्रिक युक्तिया लेके यहाँ कुछ दिनों तक रहा पुल निर्माण के लिए वे लोग मशीनों से गड्ढा खोदकर भी देखा और हम सब ग्रामीणों को बोला गया था कि पुल निर्माण दो-तीन महीने के अन्दर शुरू हो जाएगा ।
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फिर कुछ दिन बाद पूरी समान बाँधकर चल दिए।उनके बाद पुल निर्माण के लिए अब तक किसी ने मुँह भी दिखाने नहीं आए।