घाट किनारे मरी हुई डॉल्फिन मिलने से वन विभाग में मचा हड़कंप


Sahibganj News : झारखंड का साहिबगंज जिला, उस पर भी साहिबगंज से राजमहल तक के गंगा का इलाका डॉल्फिन की अठखेलियों के लिए जाना जाता है, लेकिन आमतौर से मीठे पानी के इस जीव के लिए सुरक्षित माने जाने वाले इस इलाके में एक डॉल्फिन की मौत से सनसनी फैल गई है।

घाट किनारे मरी हुई डॉल्फिन मिलने से वन विभाग में मचा हड़कंप

जिले के राजमहल प्रखंड के कसवा के गंगा तट में मरी हुई डॉल्फिन मिलने से वन विभाग के अधिकारियों एवं स्थानीय ग्रामीणों में हड़कंप मच गया।ग्रामीणों ने मृत डॉल्फिन की सूचना डीएफओ विकास पालीवाल को दी।

सूचना मिलते ही डीएफओ विकास पालीवाल, डीसी रामनिवास यादव,रेंजर राजकुमार,अनुमंडल चिकत्सक ए के पांडे घटनास्थल पहुंचे, व घटना की जानकारी ली। श्री पालीवाल ने बताया कि डॉल्फिन का पोस्टमार्टम पूरा कर ज्यादा जांच और जानकारी के लिए बाहर (बरेली) भेजने का इंतजाम किया जा रहा है।


जिला वन पदाधिकारी विकास पालीवाल का कहना है कि डॉल्फिन की मौत की जांच के लिए एक जांच कमेटी गठित की गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति और स्पष्ट हो पाएगी। बहरहाल मृत डॉल्फिन को दफना दिया गया है।डीएफओ श्री पालीवाल का कहना है कि वन विभाग इस जलीय जीव की मौत को लेकर बेहद गंभीर है।

अब सबसे अहम बात यह है कि दुनिया के दुर्लभ प्राणियों में शुमार, विलुप्त प्राय गंगेटिक डॉल्फिन को राष्ट्रीय जल जीव घोषित हुए 11 साल बीत गए हैं। गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन भारत की राष्ट्रीय जलीय जीव भी  है।विलुप्त प्राय इस जीव की वर्तमान में पूरे भारत में 2000 से भी कम संख्या रह गई हैं। इसमें 50 फ़ीसदी सिर्फ साहिबगंज के गंगा नदी में ही पाई जाती है।


इसकी कम होती जनसंख्या के बारे में पर्यावरणविद,और भू - वैज्ञानिक डॉ. रणजीत  कुमार सिंह ने कहा कि गंगा का बढ़ता प्रदूषण, बांधों का निर्माण, एवं इसका शिकार है। इनका शिकार मुख्यता तेल के लिए किया जाता है। इसके तेल से विभिन्न प्रकार की औषधि बनाई जाती है, एवं सेक्स बढ़ाने के औषधि के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है, इसीलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत लाखों रुपया होती है,जिससे डॉल्फिन का शिकार दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।


गंगा में डॉल्फिन की संख्या में वृद्धि के लिए डॉ. सिंह ने मिशन क्लीन गंगा की मांग स्थानीय प्रशासन सहित राज्य एवं केन्द्र सरकार से की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह शेर जंगल की सेहत का प्रतीक है उसी प्रकार डॉल्फिन गंगा नदी के स्वास्थ्य की निशानी है।

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