विमर्श गोष्ठी से प्रतियोगी छात्रों के सामान्य ज्ञान में वृद्धि होती है
Sahibganj News : महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस), युवा खेलकूद व संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा ज़ूम ऐप के माध्यम से एक ऑनलाइन विमर्श - गोष्ठी का आयोजन किया गया।
जिसका विषय " नागरिक का आर्थिक विकास " एक चुनौती ! रखा गया था। बता दें कि विश्व सामाजिक न्याय दिवस की स्थापना 26 नवंबर 2007 को हुई थी। इसकी घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा के नेशनल जनरल असेंबली में किया गया था। इसे पहली बार 2009 में विश्व स्तर पर मनाया गया।
महाविद्यालय प्रभारी प्राचार्य डॉ. राहुल कुमार संतोष ने बताया कि समान रूप से अधिकार दिलाने के लिए यह संस्था पूरे विश्व के ज्यादातर देशों में आयोजन करती है। बहुत सारी प्रथाएं ऐसी हैं जहां समान रूप से न्याय नहीं मिल पाता।
अगर भारत की बात करें तो यहां भी बहुत सारी प्रथाएं ऐसी हैं, जहां लिंग, जाति और आर्थिक स्तर के आधार पर समान रूप से न्याय मिल पाना मुश्किल है। जिसके कारण लोगों के अधिकारों का हनन भी हो रहा है।
आगे उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को समानता का अधिकार मिले, इसके लिए राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, बाल विकास आयोग, सहित कई अधिकार के साथ कई आयोग बनाया गया है।
जबकि एनएसएस के डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने कहा कि विश्व न्याय दिवस पर, किसी व्यक्ति को, बिना किसी भेदभाव के, समान रूप से न्याय मिल सके, और सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिल सके। इस वर्ष की थीम रखी गई है, कॉल फॉर सोशल जस्टिस इन द डिग्निटी इकोनामी यानी " डिजिटल अर्थ भारत की अर्थव्यवस्था में सामाजिक न्याय के लिए एक बुलावा"।
उन्होंने "विश्व सामाजिक न्याय दिवस" के अवसर पर सभी को मिलकर लिंग, आय, जाति, धर्म, गरीबी-अमीरी आदि के भेदभाव को भुलाकर समरस समाज की स्थापना करने का आह्वाहन किया। कार्यक्रम में विनय टुडू, यश पाण्डे, गौतम राय, अख्तर, शाहिद पार्थो प्रमाणिक, राजीव रंजन सिंह, छात्र राष्ट्रीय सेवा योजना के दर्जनों छात्र आदि उपस्थित थे।
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