5 महीने में 1200 किलोमीटर पैदल चलकर धनबाद के रास्ते साहिबगंज पहुंचा शख्स
Sahibganj News : लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों के साथ जो हालात हुए, उनसे आप सभी वाकिफ हैं. बहुत सारे ऐसे प्रवासी मजदूरों ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता चेन्नई, मद्रास, बेंगलुरु,राजस्थान जैसे बहुत सारे उद्योगीक शहरों व जगहों से पैदल ही अपने घर तक पहुंचे.
लेकिन झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा प्रवासी मजदूरों को बस, ट्रेन, हवाई जहाज के द्वारा लाने का भी काम किया गया था. फिर भी कहीं न कहीं कुछ ऐसे प्रवासी मजदूर आज भी अपने हालात के मारे हैं.
लॉकडाउन के बाद फिर वैसे ही कई मजदूर दुबारा काम की तलाश मे पलायन कर रहे हैं. उनमे से एक हैं साहिबगंज जिला के पतना प्रखंड के बामडा पहाडिया की कहानी.
काम की तलाश में दिल्ली गए साहिबगंज के रहनेवाले बामड़ा पहाड़िया को न दिल्ली में काम मिला और ना ही कोई सहारा. आखिरकार बेचारे बुजुर्ग ने रेलवे लाइन के रास्ते पैदल ही घर की राह पकड़ ली.
पांच महीने पैदल चलकर दिल्ली से 1200 किलोमीटर धनबाद पहुंचे। भूखे - प्यासे पहुंचे बुजुर्ग की जानकारी पर
धनबाद के रोटी बैंक के सदस्यों ने उन्हें भोजन कराया और आगे साहिबगंज जिले के लिए बस की व्यवस्था की साथ ही कुछ रुपया भी दिया.
धनबाद के रोटी बैंक के सदस्यों ने उन्हें भोजन कराया और आगे साहिबगंज जिले के लिए बस की व्यवस्था की साथ ही कुछ रुपया भी दिया.
सही सलामत घर पहुंचे पहाडिया ने पूर्वांचल सूर्य के हमारे प्रतिनिधि को बताया कि रुपया और काम न रहने के कारण पैदल ही दिल्ली से निकल गए. भूखे-प्यासे पैदल धनबाद पहुंचे उनकी कहानी इतनी सीधी - सादी नहीं है. काम के बहाने दिल्ली ले गए व्यक्ति ने ही उन्हें ठग लिया.
उस शख्स ने अनजाने प्रदेश में उन्हें काम तो नहीं दिलाया, उल्टे उनके पास जो पैसे थे, वह भी छीन लिए. फिर भूखे - प्यासे कितने दिन दिल्ली में रहते. आखिरकार उन्होंने घर लौटने में ही अपनी भलाई समझी. किराया न होने से पैदल ही निकल पड़े.
साहिबगंज पतना प्रखंड के आमडभीठा के रहने वाले बुजुर्ग बर्जोम बामड़ा बताते हैं कि घर लौटने के लिए पल्ले में रुपये नहीं थे. इससे उन्होंने पैदल ही रेल लाइन के रास्ते लौटना मुनासिब समझा, और दिन - रात, रुक - रुक कर चलने लगे.
धीरे- धीरे चलते यहां तक पहुंचने में उन्हें पांच महीने लग गए. इस बीच कहीं कुछ खाने को मिल जाता तो खा लेते, कभी खाने को नहीं मिलता तो सिर्फ पानी पीकर ही काम चलाना पड़ता. रास्ते में शरारती लोगों ने उनका बैग भी छीन लिया.
जैसे इतनी ही परेशानी कम नहीं थी. महुदा पहुंचने से पहले शरारती लोगों ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया. बुजुर्ग बर्जोम ने महुदा में रोटी बैंक के सदस्य सूरज हरि को बताया कि रास्ते में आते वक्त रेल लाइन के किनारे कुछ लोगों ने उसके बैग छीन लिए।उसके आधार कार्ड भी छीन लिए गए.
वे अब कई दिन से भूखे हैं. रोटी बैंक के सदस्यों ने खाना खिलाकर बस की वयवस्था किया. साथ ही साहिबगंज अपने घर तक़ जाने के लिये रुपया भी दिया. आखिरकार सही सलामत बर्जोम बामड़ा पहाडिया घर पहूंच ही गए. अगली कड़ी में पढ़िए आखिर जिला प्रशासन ने क्या किया बामडा पहाड़िया के साथ, बने रहिए हमारे साथ.
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