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विश्व परिवार दिवस : महामारी व कोरोना संकट में संयुक्त परिवार व प्रकृति बड़े औषधि : डॉ. रणजीत


Sahibganj News : राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वाधान में कोविड -19 महामारी में संयुक्त परिवार के विशेष महत्व के विषय पर ज़ूम मीटिंग कर चर्चा हुई।

विश्व परिवार दिवस : महामारी व कोरोना संकट में संयुक्त परिवार व प्रकृति बड़े औषधि : डॉ. रणजीत

जहां एनएसएस नोडल पदाधिकारी डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी संकट के इस घड़ी में संयुक्त परिवार व प्रकृति ही बड़े औषधि साबित हुई हैं। आज लोगों को इसका महत्व समझना होगा।

इंटरनेट की आभासी दुनिया के इतर एक अपनेपन और सच की भी दुनिया है। जिसे आज लोगों को आत्मसात करना होगा। उन्होंने कहा कि सभी लोग कोविड-19 वेक्सिनेशन डोज अवश्य लें।

साथ ही अपने परिवार के सभी वयस्क सदस्यों का जल्द से जल्द टीकाकरण कराएं। क्योंकि कोरोना के खिलाफ जंग में आपके परिवार के पास अभी‌ यही सबसे बड़ा हथियार है‌।


और जिन्हें वैक्सीन मिलने में थोड़ी कठिनाई आ रही है, वे घर में ही रहकर परिवार के संग पल बिताते हुए इंतजार करें। विश्व परिवार दिवस पर यही कामना है कि सभी स्वस्थ रहें और इस मुश्किल वक़्त में एक दूसरे की सहायता करते रहें।

झारखंड सोशियोलॉजिकल सोसायटी के महासचिव डॉ. एसके झा ने कहा कि संयुक्त परिवार का महत्व न सिर्फ भारतीय संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखने में है, बल्कि किसी दुर्घटना या बीमारी अथवा शारीरिक या मानसिक कारणों से कार्य करने के अयोग्य होने पर भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

वर्तमान कोविड-19 के समय में संक्रमित होने पर देखभाल करने में, अंतिम संस्कार के समय जहां समाज संवेदनाशून्य और मानवताविहीन हो चुके हैं ।वहां  संयुक्त परिवार का महत्व काफी बढ़ गया है।


लाकडाउन की अवधि में स्वस्थ्य मनोरंजन के केंद्र के रूप में संयुक्त परिवार का महत्व काफी ज्यादा है। सच तो ये है कि कोविड -19 के दौड़ में भाई बहनों का प्रेम, माता का वात्सल्य और अन्य सदस्यों के हास्य- परिहास से सभी सदस्यों को प्राकृतिक रूप से एंटीजन उत्पन्न कर सदस्यों के इम्यून सिस्टम को मजबूत कर रहा है।

वहीं रेणु गुप्ता ने कहा कि कोरोना वायरस के इस संकट ने परिवार को, विशेषकर संयुक्त परिवार को एक नया आयाम दिया है। अभी दुनिया, परिवार न होकर, परिवार ही दुनिया हो गई है।

एनएसएस वालंटियर काजल ने संयुक्त परिवार के महत्त्व को बताते हुए कहा कि कोरोना संकट में बहुत सारे लोगों ने नौकरी और रोजगार गंवाया है। पर उसका बड़ा सहारा परिवार ही बना हुआ है।


जबकि डॉ. मैरी सोरेन ने कहा कि संयुक्त परिवार रहने से हमें मानसिक, आर्थिक, भावनात्मक व अध्यात्मिक मदद मिलती है। दिल्ली से जुड़े संजय ठाकुर ने कहा कि व्यक्ति से परिवार, परिवार से समाज व समाज से राष्ट्र बनता है। अतः परिवार के साथ रहना अनिवार्य है।

कार्यक्रम में साहिबगंज महाविद्यालय के अलावे बीएसके कॉलेज बरहरवा, शिबू सोरेन जनजातीय कॉलेज बोरियो के अलावा दुमका, देवघर महाविद्यालय से भी एनएसएस छात्र - छात्राएं, शिक्षक- शिक्षिका ने अपनी बातों को रखा।
 
कार्यक्रम में विनय टुडू, प्रीति भारती, प्रीति कुमारी, मो. एजाज़ अंसारी, पत्रास मुर्मू, मनु, ललन कुमार पासवान सहित अन्य लोगों ने भी शिरकत की।

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