ये वाली नहीं सर, कम्प्लीट लॉकडाउन लगाइए सर... पर मास्क नाक के निचे ही पहनेंगे
Jharkhand : राज्य में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में कांग्रेस कोटे के मंत्री बादल पत्रलेख ने वर्तमान में जारी 'स्वास्थ सुरक्षा सप्ताह' से नाखुश होकर तीन जून तक इससे और सख्त और कंप्लीट लॉक डाउन लगाने की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की थी.
बादल पत्रलेख ने कहा था कि वर्तमान में जारी सख्त स्वास्थ सुरक्षा सप्ताह से लाभ नहीं हो रहा है और तीन जून तक कंप्लीट और सख्त लॉकडाउन लगा दिया जाए. जिसमे मूवमेंट को पूरी तरह बंद कर दिया जाए. मगर नेता बैठक के अंदर और बाहर क्या से क्या हो जाते है.
इसकी बानगी आज देखने को मिली. ये तो सच है कि राज्य की जनता कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए स्वतः जागरूक और सजग है. यहां तक की सेल्फ लॉकडाउन से जनता ने ही संक्रमण की चेन को तोड़ने की शुरुआत की थी.
मगर पाबंदियों के डेढ़ महीने से ज्यादा होने के बाद भी जनता के लिए कंप्लीट लॉकडाउन की मांग करने वाले हमारे मंत्री और विधायक खुद बैठक से बाहर निकलकर नियम भूल जाते है. देश में आज किसान आंदोलन के छह महीने पूरे होने के मौके पर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने प्रदर्शन का आह्वान किया था.
रांची में भी कोंग्रेसियो ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया. मंगलवार को ही कंप्लीट लॉकडाउन की वकालत करने वाले मंत्रियो ने भी सोशल डिस्टन्सिंग और मास्क के नियमो की धज्जियां उड़ाकर आंदोलन का झंडा गाड़ा. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव, बादल पत्रलेख तो बिना सामजिक दूरी का पालन किये ही प्रदर्शन करने उतर गए.
हद तो तब हो गयी जब रामेश्वर उरांव मास्क को मुह पर लगाकर प्रदर्शन करने आये. ऐसे में सवाल है कि आम जनता के लिए पाबंदियों की वकालत करने वाले इन नेताओ को पाबंदियों में रहना पसंद क्यों नहीं है ?
कोरोना संक्रमण के दुसरे लहर से उबर रहे झारखंड में संक्रमण को रोकने के लिए नेताओ को भी संयम का पाठ कौन पढ़ायेगा ? क्या कोरोना संक्रमण के लॉकडाउन काल में भी किसान आंदोलन जरूरी है ? आम जनता लॉक, नेताओ का प्रदर्शन अनलॉक क्यों ?
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