शहद का इस्तेमाल शरीर में रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता को विकसित करता है: वैज्ञानिक
विश्व मधुमक्खी दिवस पर वेबिनार में शहद के महत्व पर चर्चा
Sahibganj News : साहिबगंज सूचना कार्यालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार, सूचना कार्यालय, प्रादेशिक लोक संपर्क ब्यूरो, रांची और क्षेत्रीय लोक संपर्क ब्यूरो दुमका, बिरसा मुंडा कृषि विश्वविद्यालय, रांची के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को एक वेबिनार का आयोजन किया गया।वेबिनार का समन्वय एवं संचालन क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी शाहिद रहमान ने किया। वेबिनार में विशेषज्ञों के अलावा शोधार्थी, छात्र, पीआईबी, आरओबी, एफओबी, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के अधिकारी - कर्मचारियों तथा दूसरे राज्यों के अधिकारी - कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया।
वेबिनार में आकाशवाणी के पीटीसी, दूरदर्शन के स्ट्रिंगर तथा संपादक और पत्रकार भी शामिल हुए। वेबिनार का यु-ट्यूब पर भी लाइव प्रसारण किया गया था। वेबिनार का विषय, विश्व मधुमक्खी दिवस, "मधुमक्खी पालन की कला और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में शहद व उससे बने प्रोडक्ट्स का महत्व" रखा गया था।
वेबिनार में बिरसा कृषि विवि के एंटोमोलॉजी विषय के सीनियर वैज्ञानिक डॉ. एमके चक्रवर्ती, आयुष के पूर्व निदेशक डॉ.अब्दुल नुमान अहमद, मधुमक्खी प्रेमी अरिमर्दन सिंह, विशेषज्ञ मधुमक्खी पालक अशोक कुमार व एंटोमोलॉजी के जूनियर वैज्ञानिक बिनय कुमार ने अपने विचार रखे।
वक्ताओं ने कहा कि 80 से 85% भोजन बनाने में मधुमक्खी और मक्खी का बड़ा योगदान है। बिना मधुमक्खी के हम अपने भोजन को नहीं कर पाएंगे। मधुमक्खी विकसित समाजिक जीव में आता है। जैसे मानव एक सामाजिक प्राणी है, उसी प्रकार मधुमक्खी भी विकसित समाजिक जीव है।
जिसमें एक राजा एक रानी और 6 वर्कर होते हैं। जिस तरह से मानव जाति में वर्ण व्यवस्था है औऱ कार्य के अनुसार से उनका वर्ण निर्धारित किया जाता है। वैसे ही मधुमक्खी में होते हैं, पर आज आधुनिक व्यवस्था में मानव समाज में बदलाव आया है, पर मधुमक्खी वही व्यवस्था में कार्य कर रही है।
मधुमक्खी में एक रानी एक राजा व काम करने वाले वर्कर तथा एक सशक्त फौज होता है। मधु रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है तथा इससे होम्योपैथिक दवाई में उपयोग किया जाता है। मधु कई रोग के ईलाज में काम आता है।
यह गर्म तासीर का होता है। अतः इसका उपयोग कम करना चाहिए। मधु उत्पादन कर रोजगार व जीविकोपार्जन का बड़ा साधन बन सकता है। जैसे किसान के फसल का बीमा होता है, उसी तरह से मधु उत्पादन करने वाले किसान का भी बीमा होना चाहिए।
उत्पादक का एक आई कार्ड सरकार के द्वारा देना चाहिए। झारखंड में देश का सबसे सर्वश्रेष्ठ और उत्तम मधु मिलता है। झारखंड के साहिबगंज में मधुमक्खी के लिए सर्वश्रेष्ठ मधु है, जो सबसे ज्यादा कीमत में बिकता है।
साहिबगंज जिले में पहाड़ी आदिवासी समुदाय, ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से मधुमक्खी पालन कर सकते हैं। मधुमक्खी रोजगार में लगे किसान व लोगों के लिए बाहर यातायात व्यवस्था में सुविधा दी जाए।
एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने में उनको सुविधाजनक होनी चाहिए, ताकि किसान को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं झेलनी पड़े और सुगमता से अपने रोजगार व जीवनोपार्जन के साधन से अपने परिवार का पालन पोषण कर परिवार, समाज और राष्ट्र को आर्थिक मदद कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के माध्यम से 10 से 12 लाख रूपया तक रोजगार के लिए ऑनलाइन आवेदन कर 45 दिन में राशि प्राप्त हो जाता है। भूवैज्ञानिक सह पर्यावरणविद डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने बिरसा मुंडा कृषि विश्वविद्यालय व सूचना निदेशालय से आग्रह किया है
कि सिद्धो - कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका एवं साहिबगंज महाविद्यालय के साथ साझा शोध कार्य व रोजगार के लिए प्रषिक्षण व छात्राओं एवं युवाओं को जोड़कर कार्य करने की इच्छा जताई है। यहां बताते चलें कि डॉ. रणजीत कुमार सिंह विश्वविद्यालय स्तर पर बने साझा शोध सेल के सदस्य हैं।
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