पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ | रचना - खुशीलाल पंडित
पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ
प्रकृति यूं हीं विरान नहीं
उसे वीरान बनाया हमने है,
पेड़ों को काटकर उसमें
मकान बनाया हमने है।
छोटे-छोटे कल कारखाने
और बांध बनाया हमने है,
वृक्षों की कटाई करके
बड़े-बड़े उद्योग लगाया हमने है।
पर्यावरण को बचाना है अब
यह बात कब समझ पाओगे।
पर्यावरण अगर नहीं रहा तो
जीवन कैसे जी पाओगे ?
लगा लो आज पेड़ तुम भी
बिन ऑक्सीजन जियोगे कैसे?
घुट-घुट कर तुम मर जाओगे।
कोई जला रहा पेड़ों को
कोई दरवाजे बना रहा,
अब कैसे समझाएं हम उनको
अपनी मौत खुद ही बुला रहा।
पर्वत काटे जा रहे हैं
उजाड़ रहे मैदानों को।
क्यों नहीं तुम रोक रहे
इन पत्थर के खदानों को।
पर्यावरण को मत छेड़ो तुम
बाद बहुत पछताओगे,
पेड़ अगर नहीं रहें तो
ऑक्सीजन कहां से लाओगे?
पेड़ों को लगाएं अब हम
प्रकृति का सम्मान करें,
आओ सब मिलकर अब
स्वच्छ पर्यावरण का निर्माण करें।
स्वरचित कविता
साहिबगंज महाविद्यालय साहिबगंज
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