शहीद दिवस विशेष : लक्ष्मीबाई नाम था उसका | रचना - खुशीलाल पंडित
आजादी उसको प्यारी थी
लक्ष्मीबाई नाम था उसका
आजादी उसको प्यारी थी,
बचपन से ही उसके मन में
एक दबी हुई चिंगारी थी।
उस दबी हुई चिंगारी ने फिर
जन्म दिया एक ज्वाला को,
क्रांतिकारी बनी छबीली
त्याग सिंहासन की माला को।
अपने पीछे जगा गई वो
आजादी के मतवाला को।
यह भूमंडल भी डोल उठा।
आरंभ हो गया युद्ध प्रचंड
हर तरफ हुई लड़ाई थी,
एक अकेली लक्ष्मीबाई ने-
सौ-सौ को मार गिराई थी।
स्वतंत्रता की वह देवी थी
हमें आजादी दिलाने आई थी,
पीठ पर बच्चा लेकर भीउसने
दोनों हाथों से तलवार चलाई थी।
उसने गोरी शासन की नींव हिलाई थी,
अंग्रेजों से लड़ने वाली वह-
अकेली मर्द कहलाई थी।
अपना शीश कटा के जिसने-
आजादी की मतलब हमें समझाई थी,
अपना शीश कटा के जिसने-
आजादी की मतलब हमें समझाई थी।
स्वरचित कविता
✍️खुशीलाल पंडित
साहिबगंज महाविद्यालय साहिबगंज
साहिबगंज महाविद्यालय साहिबगंज
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